Rath Yatra 2025: रांची के धुर्वा में स्थित जगन्नाथ मंदिर में पिछले 333 सालों से लगातार रथ यात्रा की परंपरा निभाई जा रही है. प्रभु की ऐतिहासिक और दैवीय यात्रा के लिए हर साल विशेष तैयारियां की जाती हैं. इस साल भी रांची में रथयात्रा की तैयारी पूरी हो चुकी है. प्रभु के रथ भी अपने अंतिम स्वरूप में आ चुका है. 27 जून को मुख्य मंदिर से प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भव्य रथयात्रा निकलेगी.
पुरी के बाद लगता है दूसरा सबसे बड़ा मेला

कहते हैं कि रांची में लगने वाला जगन्नाथ मेला, ओडिशा के पुरी के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा और भव्य रथ मेला माना जाता है. यहां पुरी की ही तरह जगन्नाथ स्वामी का रथ खींचने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. रथ खींचने के लिए रांची के साथ रामगढ़, खूंटी, गुमला, हजारीबाग, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से भी हजारों श्रद्धालु जगन्नाथ मंदिर पहुंचते हैं.
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रस्सी खींचने से पूरी होती है भक्तों की मनोकामना

मान्यता है कि प्रभु के रथ की रस्सी खींचने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है. साथ ही जगन्नाथ स्वामी उनके सभी कष्ट दूर कर देते हैं. बता दें कि बड़ी संख्या में महिला भक्त भी रथ खींचने में हिस्सा लेती हैं. श्रद्धालु रथ को पीछे से भी धक्का देकर भगवान की सेवा में भागीदारी निभाते हैं.
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भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन तैयार

वहीं, रथयात्रा के दिन जगन्नाथ मंदिर से लेकर मेला क्षेत्र तक हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ऐसे में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा को लेकर रांची जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा खुद सुरक्षा व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. मेला क्षेत्र और मंदिर परिसर के चप्पे-चप्पे पर प्रशासन की नजर रहेगी. इस दौरान महिला श्रद्धालुओं और बुजुर्गों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है.
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महिलाओं और बुजुर्गों के लिए खास सुविधा
रथयात्रा के दौरान महिला श्रद्धालुओं और बुजुर्गों की सुविधा के लिए अलग कतारें, विश्राम स्थल और हेल्प डेस्क बनाये गये हैं. इसके साथ ही स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं भी प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही हैं. ताकि सभी श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से प्रभु जगन्नाथ के दर्शन कर सके.
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