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हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब: आदेश के बाद भी क्यों लागू नहीं हुई पेसा नियमावली; जानिये क्या है पूरा मामला

PESA Act: झारखंड हाईकोर्ट में कल बुधवार को पंचायत अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कहा गया कि जनहित याचिका में 29 जुलाई 2024 को आदेश पारित कर पेसा नियमावली लागू करने के लिए राज्य सरकार को 2 माह का समय दिया गया था, लेकिन अब तक नियमावली लागू क्यों नहीं हुई. याचिका पर 5 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

PESA Act: झारखंड हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद भी अब तक राज्य में पेसा नियमावली लागू नहीं होने पर हाइकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. इस संबंध में कल बुधवार को हाइकोर्ट में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका पर 5 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

पंचायती राज के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने पक्ष सुना. खंडपीठ ने पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा कि जनहित याचिका में 29 जुलाई 2024 को आदेश पारित कर पेसा नियमावली लागू करने के लिए राज्य सरकार को 2 माह का समय दिया गया था, लेकिन अब तक नियमावली लागू क्यों नहीं हुई. खंडपीठ ने मामले में तत्कालीन पंचायती राज के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे को अवमानना का नोटिस जारी किया.

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2 माह में लागू करने का था आदेश

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता अभिषेक रॉय ने बताया कि हाइकोर्ट ने वर्ष 2024 में ही राज्य सरकार को 2 माह में पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार पेसा नियमावली बनाकर लागू की जाये, लेकिन वह अब तक लागू नहीं हुई है.

नियमावली तैयार कर, ली जायेगी कैबिनेट की स्वीकृति

वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ओमिया अनुशा ने पक्ष रखा. उन्होंने मौखिक रूप से खंडपीठ को बताया कि पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जारी किया गया था, जिस पर आपत्ति व सुझाव लिये गये हैं. अब नियमावली को तैयार कर कैबिनेट की स्वीकृति ली जानी है.

क्या है पूरा मामला ?

मालूम हो वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने पेसा कानून लागू किया था. इसका उद्देश्य राज्य के शिड्यूल एरिया में आदिवासियों के हितों की सुरक्षा करना था, लेकिन एकीकृत बिहार तथा झारखंड गठन से लेकर अब तक राज्य सरकार द्वारा कानून के तहत नियमावली नहीं बनायी गयी. वर्ष 2019 तथा 2023 में नियमावली का ड्रॉफ्ट तैयार किया गया, लेकिन लागू नहीं किया गया. जब नियमावली लागू नहीं किया गया, तो हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी.

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Dipali Kumari
Dipali Kumari
नमस्कार! मैं दीपाली कुमारी, एक समर्पित पत्रकार हूं और पिछले 3 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं, जहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पूर्व दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी कार्य करने का अनुभव है.

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