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Ranchi news : रिम्स में इलाज की दयनीय व्यवस्था पर हाइकोर्ट सख्त

स्वास्थ्य सचिव व रिम्स निदेशक को हाजिर होने का निर्देश

स्वास्थ्य सचिव व रिम्स निदेशक को हाजिर होने का निर्देश

वरीय संवाददाता, रांची

झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स में मरीजों के बेहतर इलाज व बुनियादी सुविधाओं को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चाैहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि रिम्स राज्य का प्रमुख अस्पताल है. यहां इलाज की उत्कृष्ट व्यवस्था होनी चाहिए. खंडपीठ ने मामले में सख्त रूख अपनाते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव व रिम्स निदेशक को छह अगस्त को सुनवाई के दाैरान सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने रिम्स से पूछा कि राज्य सरकार हर साल करोड़ों रुपये देती है, तो उसे खर्च किये बिना क्यों लाैटा दिया जाता है. प्राप्त राशि से मेडिकल उपकरण व इलाज के लिए अन्य जरूरी वस्तुएं क्यों उपलब्ध नहीं रहती है. वर्षों से चिकित्सकों, प्राचार्यों, प्रोफेसरों, नर्स, पारा मेडिकल स्टॉफ व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के रिक्त पदों को अब तक क्यों नहीं भरा गया है. खंडपीठ ने नन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) लेने के बाद भी रिम्स के चिकित्सकों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने को गंभीरता से लेते हुए खंडपीठ ने रिम्स निदेशक को चिकित्सकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. उक्त निर्देश देते हुए खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि रिम्स की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इलाज की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है. रिम्स में बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं. पदों को भरने के लिए जो विज्ञापन निकाले गये थे, उसकी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की गयी है. रिम्स में नियुक्ति दर्जनों चिकित्सक एनपीए लेने के बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस धड़ल्ले से कर रहे हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि रिम्स को नियमित रूप से राशि आवंटित की जाती है, लेकिन रिम्स प्रबंधन द्वारा आवंटित राशि का उपयोग किये बिना वापस कर दिया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि रिम्स में इलाज की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. साथ ही प्रार्थी ज्योति शर्मा की ओर से भी जनहित याचिका दायर रिम्स की व्यवस्था बेहतर बनाने की मांग की गयी है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार, रिम्स प्रबंधन व झारखंड बिल्डिंग कॉरपोरेशन को जवाब दायर करने का निर्देश दिया था.

बड़ी संख्या में रिम्स है पद खाली

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने कोर्ट को बताया कि रिम्स में लंबे समय से बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं और उन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया यदि शुरू भी की गयी थी, तो वह पूरी नहीं हुई है. रिम्स ने 13 मार्च 2024 को 145 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें प्रोफेसर के 37, एडिशनल प्रोफेसर के नाै, एसोसिएट प्रोफेसर के 56, असिस्टेंट प्रोफेसर के 43 पद शामिल थे, जो पूरा नहीं हुआ. रिम्स डेंटल कॉलेज में एक प्रिंसिपल का पद है, लेकिन तीन साल से इंचार्ज के भरोसे चल रहा है. 22 जून 2023 को विज्ञापन निकला था, लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. वहीं नर्सिंग कॉलेज में एक प्रिंसिपल का पद है. इसकी नियुक्ति के लिए 19 मार्च 2025 को विज्ञापन जारी हुआ, लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. नर्सिंग स्टाफ (ग्रुप-सी) का 144 पद, पारा मेडिकल स्टाफ का 44 तथा ग्रुप-डी का 418 पद रिक्त हैं.

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