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हिमंता विश्वा सरमा ने खास बातचीत में कहा- झारखंड में हर सीट पर प्रभावशाली उम्मीदवार देंगे

असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता हिमंता विश्व सरमा ने प्रभात खबर से बातचीत में झारखंड के मुद्दे और विधानसभा चुनाव को लेकर खास बातचीत की है. उन्होंने दावा किया है कि पार्टी इस बार जीत ओर आगे बढ़ रही है.

रांची : भाजपा के फायर ब्रांड नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा के कंधे पर झारखंड का चुनावी समर है. झारखंड विधानसभा के चुनाव सह-प्रभारी श्री सरमा की झारखंड की राजनीति पर पैनी निगाह है, वह स्पष्ट समझ रखते हैं. बेबाक श्री सरमा के पास ठोस चुनावी खाका है. वह झारखंड का लगातार दौरा कर रहे हैं. पूरी पार्टी को चार्ज किया है. सरमा कार्यकर्ताओं से जुड़ कर काम कर रहे हैं, जमीनी स्तर पर चुनावी एजेंडे और नैरेटिव को ले जाने के लिए पसीना बहा रहे हैं. शनिवार को श्री सरमा प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे. झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी की तैयारी, जीत की संभावनाओं और यहां की समस्याओं को लेकर प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन से लंबी बातचीत की.

Q. झारखंड में चुनाव जीतने का कौन सा मैजिक लेकर हिमंता पहुंचे हैं, भाजपा की क्या संभावना देख रहे हैं?

2019 का चुनाव देखते हैं, तो झारखंड के लोगों ने मोदी जी को प्यार दिया. इसके साथ ही लोकसभा का परिणाम हम विधानसभा तक लाने में असफल रहे. तब संगठन या तो मजबूती से खरा नहीं उतरता या हम विधानसभा तक लोकल इश्यू को ले जाने में असमर्थ रहे. छह महीने में एक चुनाव के रिजल्ट को हम दूसरे चुनाव में कन्वर्ट नहीं कर पाये. इस बार परिस्थिति दूसरी है. सभी मोदी जी को चाहते हैं. मैं बता रहा हूं कि दिल्ली ही नहीं, मोदी जी की भूमिका झारखंड में नयी सरकार में होगी. वह झारखंड के साथ होंगे. इस बार हम जीत की ओर हैं.

Q. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन से ज्यादा सीटें तो आपको आयी, लेकिन सारे ट्राइबल सीटें आप हार गये, कहां चूक रह गयी?

हमें 14 में से नौ सीटें मिलीं. एक सीट हम थोड़े से अंतर से हारे. हमारे पास 10 सीटों का मोमेंटम है. मोमेंटम हमारे साथ है. हमें इसे बनाकर रखना है. जनता हमारे साथ है. ये अब नहीं कहा जा सकता है कि हम ये सीट जीते, या क्यों हार गये.

Q. राज्य में 28 आदिवासी सीटें हैं, पिछले चुनाव में भाजपा दो सीटें जीत पायी, इस बार क्या राज्य के दिग्गज आदिवासी नेता चुनाव लड़ेंगे?

हर सीट पर प्रभावशाली उम्मीदवार देंगे. जीतनेवालों को चुनाव में उतारेंगे. वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए. जहां तक बात अर्जुन मुंडा जैसे बड़े नेता की है, तो उनका कैनवास बड़ा है. वह दिल्ली में लंबे समय तक रहे, अब विधानसभा चुनाव लड़ने का टेंमरामेंट है या नहीं. वह लोकल पॉलिटिक्स में आना चाहते हैं या नहीं. उनका निर्णय होगा. वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, केंद्र में मंत्री रहे. निर्णय मुंडा जी ही लेंगे.

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Q. बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला आप जोर-शोर से उठा रहे हैं, आपके विपक्षी कहते हैं कि कार्रवाई केंद्र सरकार को करना है. इसमें राज्य सरकार कहां से आ गयी?

अभी मैं होटल में था. एक आदिवासी युवक से मिलकर आया हूं. करमा उरांव उसका नाम था. उसकी जमीन मुसलमानों ने ले ली है. कोर्ट ने वापस करने का आदेश भी दिया है. सीएनटी की जमीन है. मैंने पूछा कि प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है. युवक ने बताया कि कोई सुननेवाला नहीं है. केंद्र सरकार सीमा की सुरक्षा देखती है, लेकिन घुसपैठियों को कौन संरक्षण दे रहा है. घुसपैठिया झारखंड में सीधे नहीं आते हैं, मुर्शिदाबाद और अलग-अलग जगहों से घुसते हैं. पश्चिम बंगाल और झारखंड की मिलीभगत चल रही है. हेमंत सोरेन घुसपैठिया के मामले में गोल पोस्ट शिफ्ट नहीं करें. आप अपनी जमीन बचाओ.

Q. असम के चाय बगान में झारखंडी टी ट्राइबल को आदिवासी का दर्जा आज तक नहीं मिला. असम सरकार कोई पहल कर रही है, क्या?

हमने झारखंड-छत्तीसगढ़ के 48 ट्राइबल जातियों को दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. यह केंद्रीय कैबिनेट से पास भी हो चुका है. राज्यसभा में भी प्रस्ताव आ गया है. इसी तरह चाय बगान में काम करनेवाले 39 जातियों को दर्जा देने का भी प्रस्ताव है. टी-ट्राइब की चिंता असम सरकार कर रही है. इनके लिए अलग मंत्रालय हमने बनाया है. उनके लिए मेडिकल की 40 सीटें आरक्षित हैं. सरकारी नौकरी में तीन प्रतिशत आरक्षण है. इनके लिए 300 करोड़ की योजना है. 200 हाई स्कूल खोल रहे हैं. मोदी सरकार ने एक हजार करोड़ दिये हैं. असम में टी-ट्राइब के लिए सम्मान और दिल में प्यार है.

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Anand Mohan
Anand Mohan
I have 15 years of journalism experience, working as a Senior Bureau Chief at Prabhat Khabar. My writing focuses on political, social, and current topics, and I have experience covering assembly proceedings and reporting on elections. I also work as a political analyst and serve as the Convenor of the Jharkhand Assembly Journalist Committee.

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