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Political news : रातू रोड फ्लाइओवर की लागत 400 से बढ़कर कैसे हुई 598 करोड़ : झामुमो

झामुमो नेता ने कहा कि टोल टैक्स वसूल कर सड़क बना रही है केंद्र सरकार. गढ़वा बाइपास की लागत पर भी उठाया सवाल.

रांची. झामुमो ने केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा गढ़वा बाइपास और रांची में रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र के मंत्री स्वयं कह रहे हैं कि एलिवेटेड कॉरिडोर 400 करोड़ में बना है. वहीं, सरकारी दस्तावेज में इसकी लागत 598 करोड़ लिखा है. यह अंतर कहां से आया. क्या, इस पर इडी या किसी जांच एजेंसी की नजर नहीं पड़नी चाहिए थी.

गढ़वा बाइपास के निर्माण पर इतनी अधिक राशि क्यों खर्च की गयी

उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता सब समझ रही है. गडकरी जी जैसे नेता से उम्मीद की जाती है कि वे इन सवालों का जवाब देंगे. राज्य सरकार ने कांटाटोली और सिरमटोली जैसे फ्लाइओवर को कम लागत में और बिना टोल के बनवाया है. वहीं, केंद्र सरकार की योजना में लागत बढ़ जाती है. उन्होंने गढ़वा बाइपास के उदघाटन पर भी सवाल उठाया. झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि यह सड़क पहले से चालू है. झारखंड जैसे गरीब और पिछड़े राज्य में सड़कें जीवन रेखा हैं. वहां टोल वसूली आम लोगों पर बोझ है. उन्होंने 22 किलोमीटर सड़क के लिए 1159 करोड़ रुपये की लागत पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इतनी अधिक राशि क्यों खर्च की गयी. इसमें कितना टैक्स और टोल जुड़ा है, यह भी बताना चाहिए.

सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक रंग दिया गया

झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि गढ़वा के सरकारी कार्यक्रम में भाजपा नेताओं को मंच पर जगह दी गयी, लेकिन क्षेत्र के वर्तमान विधायकों और झारखंड सरकार के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया. राजनीतिक मर्यादा भूल गये हैं. सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक रंग दिया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गडकरी को पत्र लिखकर कार्यक्रम को कुछ दिनों के लिए टालने का अनुरोध किया था, क्योंकि वे पारिवारिक कारणों से व्यस्त हैं. लेकिन, इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया.

गडकरी ईमानदार व संवेदनशील, भरोसा है

श्री भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें नितिन गडकरी पर व्यक्तिगत रूप से भरोसा है. वे ईमानदार और संवेदनशील नेता हैं. लेकिन उनके साथ जो जानकारी साझा की जा रही है, वह अधूरी और भ्रामक है. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे आदिवासी राज्य की भावना को समझना जरूरी है, लेकिन यहां टोल लगाकर आम लोगों पर बोझ डाला जा रहा है और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है.

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