रांची. झारखंड में पहले कुड़ुख इंग्लिश स्कूल की शुरुआत करनेवाले फादर जेफ्रानियुस बाखला (डॉ एतवा उरांव) नहीं रहें. गत सात जुलाई को उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार बुधवार को गुमला के डुमरी स्थित लुरडीपा भागीटोली में हुआ. फादर को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में रांची से लोग पहुंचे थे. इनमें हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा, साहित्यकार महादेव टोप्पो, बीजू टोप्पो, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की, डॉ नारायण उरांव, डॉ शांति खलखो सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे. फादर को उनके स्कूल के पास ही दफनाया गया. गौरतलब है कि फादर जेफ्रानियुस ने झारखंड में पहला कुड़ुख इंग्लिश मीडियम स्कूल खोला था. इस स्कूल को वे बिना किसी सरकारी सहायता के चला रहे थे. साहित्यकार महादेव टोप्पो ने बताया कि यह अपने तरह का अनोखा स्कूल था, जहां गणित के फॉर्मूला आदि भी कुड़ुख भाषा में पढ़ाये जा रहे थे. इसके अलावा यहां बच्चों को अंग्रेजी भाषा की भी अच्छी शिक्षा दी जा रही थी. अब उनके कार्यों को आगे बढ़ाना बड़ी चुनौती होगी. रतन तिर्की ने बताया कि फादर जिफ्रानियुस सरना ईसाई समुदाय में समान रूप से लोकप्रिय थे. वे डॉन बास्को (एसडीबी) से जुड़े थे. सोसाइटी उनके शव को कब्रिस्तान में दफनाना चाहती थी, लेकिन ग्रामीणों ने कहा कि इन्हें गांव के स्कूल के पास ही दफनाया जाये.
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