रांची. झारखंड में आदिवासी समुदाय द्वारा पारंपरिक उल्लास के साथ सरहुल महोत्सव मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में बुधवार को कांके स्थित मायापुर सरना स्थल में आदिवासी 22 पड़हा सरना समिति ओरमांझी कांके द्वारा 29वां सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना आवश्यक है. सरहुल महोत्सव में मांदर-नगाड़े की थाप पर नृत्य करना चाहिए न कि डीजे और फिल्मी गीतों पर. उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय आदिवासी कल्याण के लिए कार्यरत है और हम आदिवासी समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मंत्री ने कहा कि आदिवासी और ओबीसी समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल, ट्यूशन सेंटर, कॉलेज और अस्पताल खोले जायेंगे. हरिजन समुदाय के लिए भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जायेगा. छोटानागपुर क्षेत्र में सभी सरना स्थलों की बाउंड्री सरकार करायेगी.
15 करोड़ से मांदर व नगाड़ा किया जायेगा वितरित
मंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज की पारंपरिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपये से मांदर-नगाड़ा वितरित करने का निर्णय लिया है. इसके माध्यम से हम अपनी कला व संस्कृति से जुड़कर रहेंगे. उन्होंने सरना धर्म को मान्यता दिलाने के संघर्ष करने का आह्वान किया. कहा कि जब तक हम संघर्ष करेंगे, तब तक हम बचेंगे. अगर केंद्र सरकार सरना कोड नहीं देती है, तो सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे. आवश्यक हुआ, तो संपूर्ण राज्य को बंद करने के लिए भी तैयार रहेंगे.
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