राजीव पांडेय. रिम्स की मौजूदा बिल्डिंग, जिसमें ओपीडी और इनडोर (विभिन्न विभागों के वार्ड) शामिल हैं, बेहद जर्जर स्थिति में है. आये दिन यहां कहीं छत का प्लास्टर गिर रहा है, तो कहीं पिलर टूट रहा है. कई जगह तो पिलर भी टेढ़े हो गये हैं और उनसे सरिया बाहर निकल गया है. ऐसे में रिम्स प्रशासन ने ओपीडी और इनडोर के लिए नये भवन के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया है. हालांकि, आठ महीने पहले तैयार इस प्रस्ताव पर आज तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है. क्योंकि, सरकार के निर्देश पर आइआइटी आइएसएम धनबाद की टीम मौजूदा बिल्डिंग का मुआयना कर रही है. यह टीम ही तय करेगी कि यह भवन कितने दिन और टिका रह सकता है.
स्टेडियम में ओपीडी ब्लॉक और हॉस्टल की जगह पर इनडोर बिल्डिंग के निर्माण का खाका तैयार
गौरतलब है कि रिम्स के संपदा विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव में स्टेडियम की जमीन पर नया ओपीडी ब्लॉक और ब्वायज हॉस्टल को तोड़कर वहां इनडोर के लिए नयी बिल्डिंग बनाने की बात कही गयी है. इस प्रस्ताव पर आठ महीने पहले बैठक भी हुई थी. वहीं, रिम्स शासी परिषद (जीबी) की बैठक में इसे एजेंडा बनाया जाना था, लेकिन बाद में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. इधर, स्वास्थ्य विभाग ने आइआइटी आइएसएम को जर्जर हो चुकी मौजूदा बिल्डिंग के आकलन का जिम्मा सौंप दिया है. यह देखा जा रहा है कि बिल्डिंग जीर्णोद्धार के लायक है या नहीं. अगर आइएसएम ने यह सुझाव दिया कि बिल्डिंग ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी और इसमें पैसा लगाना उचित नहीं होगा, तो राज्य सरकार नयी बिल्डिंग के निर्माण की योजना पर विचार करेगी.
सभी ओपीडी सेवाएं एक जगह लाने की तैयारी
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा बिल्डिंग की स्थिति और खराब होने से पहले अगर नयी बिल्डिंग तैयार कर ली जाये, चिकित्सकीय सेवाएं सुचारु रहेंगी. वहीं, स्टेडियम के पास नया ओपीडी ब्लॉक बनने पर सभी ओपीडी एक जगह पर व्यवस्थित हो जायेंगे, क्योंकि निर्माणाधीन क्षेत्रीय नेत्र संस्थान उसके ठीक बगल में ही है. वहीं, ओपीडी ब्लॉक के पास हॉस्टल वाली जगह पर वार्ड तैयार होने से मरीजों को भर्ती करने में भी सहूलियत होगी.
डीआइजी ग्राउंड में शिफ्ट करना था ब्वायज हाॅस्टल
प्रस्ताव के अनुसार, डीआइजी ग्राउंड में ब्वायज हॉस्टल बनाया जाना है. इससे हॉस्टल के लिए अधिक जमीन उपलब्ध हो जायेगी, जिसमें स्टेडियम सहित कई सुविधाएं शुरू होंगी. इससे अतिक्रमित जमीन का सदुपयोग भी होगा और विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ जायेंगी
पुराना भवन हुआ जर्जर, रोजाना कहीं न कहीं से टूट रहा
रिम्स की पुरानी बिल्डिंग करीब 60 साल पुरानी है. आरएमसीएच (अब रिम्स) की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी. इसका नामकरण भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम पर ‘राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल’ रखा गया. वहीं, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की बिल्डिंग फरवरी 1965 में अस्तित्व में आया था. इसके बाद से भवन की मरम्मत कर काम चलाया जा रहा है.
रिम्स के पीआरओ बोले
रिम्स ओपीडी और इनडोर के लिए नया भवन बनाने का प्रस्ताव तो तैयार किया गया है, लेकिन चर्चा के बावजूद इस कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है. स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है.
– डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्सरिम्स इनडोर में संचालित विभाग और उनमें भर्ती होनेवाले मरीज
ग्राउंड फ्लोर : हड्डी वार्ड और आइसोलेशन वार्ड – 200 मरीजपहला तल : मेडिसिन वार्ड – 300 मरीजदूसरा तल : सर्जरी वार्ड – 150 से 200 मरीजतीसरा तल : इएनटी, आई और न्यूरो सर्जरी वार्ड – 300 मरीजचौथा तल : स्त्री विभाग का वार्ड, शिशु वार्ड और लेबर रूम – 200 मरीजओपीडी भवन में रोजाना दोनों पालियों में मरीज और उनके परिजनों को मिलाकर औसतन 1800 लोग आते हैं
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