प्रतिनिधि, पिपरवार.
पिपरवार के ग्रामीण इलाकों में जंगलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. गांवों में ग्रामसभा तो हैं, लेकिन चंद ग्रामसभा ही सक्रिय है. तरवां व कारो की ग्राम सभा ही वन संरक्षण को लेकर सक्रिय है. लेकिन वन विभाग से सहायता प्राप्त नहीं होने से दोनों ग्रामसभा वन संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम नहीं उठा पा रहे हैं. जानकारी के अनुसार वन विभाग वन समितियों का गठन चाहता है. लेकिन इसकी आड़ में वन विभाग जिस तरह ठेकेदारी करना चाहता है, ग्रामीणों को नामंजूर है. इस संबंध में हफुआ निवासी गुलाब महतो बताते हैं कि वन विभाग वन समिति की आड़ में भ्रष्टाचार करना चाहता है. पहले तरवां में वन समिति थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से भंग करा दिया गया. उन्होंने बताया कि वन विभाग के कृत्यों से ग्रामीणों को अपनी जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा खतरे में पड़ती नजर आती है. ग्रामीणों को आशंका है कि वन समिति के सदस्यों का हस्ताक्षर का दुरुपयोग कहीं विभाग कोयला खनन करनेवाली कंपनियों को न सौंप दें. यही वजह है कि सरकार पर भरोसा न कर ग्रामीण संस्थागत अभियानों के माध्यम से जंगल संरक्षण में लगे हुए हैं. जंगलों की चौहदी में ग्रामसभा द्वारा बोर्ड गड़ी कर वन संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. गुलाब महतो बताते हैं कि जंगलों की कटाई दूसरे गांवों के लोग करते हैं. तरवां में ऐसा ही मामला आया है. यहां की ग्रामसभा बहुत जल्द उन लकड़ियों को जब्त कर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करनेवाली है. उन्होंने बताया कि जंगलों को सबसे अधिक नुकसान महुआ चुनने के लिए आग लगाने से हो रहा है. ग्रामसभा के माध्यम से हमलोग जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं.ग्रामीणों का सरकार पर भरोसा नहीं
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