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Jharkhand Foundation Day: 24 साल का हुआ झारखंड, लेकिन नहीं पकड़ सका विकास की रफ्तार, जानें वजह

Jharkhand Foundation Day 2024: झारखंड आज 25 वीं वर्ष में प्रवेश कर गया. 15 नवंबर 2000 को इसकी स्थापना हुई लेकिन अब तक यह विकास की रफ्तार नहीं पकड़ सका है. आज हम इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे.

Jharkhand Foundation Day, रांची : अपना झारखंड आज 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. 15 नवंबर 2000 में देश के मानचित्र में उभरा यह राज्य युवा है. कई सपने और अरमानों के साथ झारखंड आगे बढ़ रहा है. इस राज्य की अपनी अस्मिता और पहचान है. लंबे संघर्ष व कुर्बानी के बाद झारखंड मिला है. यहां के लोगों की आकांक्षा माटी से जुड़ी है. झारखंड के नायक और आजादी के दीवाने इसकी विरासत को समृद्ध करते हैं. पहाड़, पर्वत और जंगलों का यह प्रदेश अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है. 15 नवंबर 2000 की सुबह यह प्रदेश नयी उम्मीदों के साथ झूम रहा था. वर्षों की उपेक्षा की पीड़ा लेकर यह सोच रहा था कि हालात बदलेंगे. अपना राज आयेगा. झारखंड तो मिल गया, लेकिन झारखंड अब तक विकास की वह रफ्तार नहीं पकड़ पाया, जो पकड़नी चाहिए थी. झारखंड वासियों की समस्याओं और सवालों को सही तरीके से नहीं सुना गया.

राजनीतिक अस्थिरता झारखंड के विकास को नहीं दे पाया खाद-पानी

झारखंड निर्माण के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता के दौर ने झारखंड के विकास को वह खाद-पानी नहीं दे पाया. गवर्नेंस के मामले में झारखंड पटरी पर नहीं दौड़ पाया. इसके नव निर्माण का विजन सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों के पास नहीं था. कुर्सी गिराओ, कुर्सी बचाओ का खेल बचपन में झारखंड ने देखा. झारखंड को जब सरपट दौड़ना था, तो लड़खड़ाता रहा. झारखंडियों के हर सवाल पीछे छूटते रहे. सत्ता के खेल ने इसको विकास में पीछे धकेल दिया. भ्रष्टाचार के नये-नये अध्याय जुड़ते चले गये.

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झारखंड के भ्रष्टाचार और लूट की चर्चा होती रही

देश-दुनिया में झारखंड के भ्रष्टाचार और लूट की चर्चा होती रही. पलायन, विस्थापन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योगों के विकास जैसे कई क्षेत्रों के लिए व्यवस्था में बैठे लोगों ने कभी गंभीरता से नहीं सोचा. अच्छे अस्पताल हम नहीं बना पाये. एजुकेशन का एक्सीलेंस सेंटर नहीं खुले. लाखों बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं. छात्राओं और युवाओं के दर्द दरकिनार होते रहे. पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक स्थिरता आयी. सरकार चली. इस दौर में आम झारखंडियों के सपनों ने और हिलोरे मारे.

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झारखंड को संवारने का काम नहीं हो पाया पूरा

सरकार से उम्मीद बड़ी थी. सरकारों ने अपना काम कुछ आगे बढ़ाया. लेकिन, झारखंड को संवारने का काम पूरा नहीं हो पाया. स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के पैमाने पर हम खरे नहीं उतर पाये. आज भी झारखंड बेचैन है. विकास के रास्ते तलाश रहा है. नये प्रतिमान गढ़ने की जरूरत है. फिलहाल झारखंड राजनीतिक सरगर्मी में डूबा है. आने वालेदिनों में नयी सरकार शक्ल लेगी. सरकार जिसकी भी बने, उम्मीदों का दीया जला हुआ है.

Anand Mohan
Anand Mohan
I have 15 years of journalism experience, working as a Senior Bureau Chief at Prabhat Khabar. My writing focuses on political, social, and current topics, and I have experience covering assembly proceedings and reporting on elections. I also work as a political analyst and serve as the Convenor of the Jharkhand Assembly Journalist Committee.

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