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Jharkhand High Court: झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी को हाजिर होने का आदेश, हाईकोर्ट ने क्यों जतायी कड़ी नाराजगी?

Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निगम और नगर निकायों का चुनाव नहीं कराने पर नाराजगी जाहिर की है और मुख्य सचिव अलका तिवारी को 25 अगस्त को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया है. पूछा क्यों नहीं आदेश की अवमानना करने के लिए आप पर आरोप तय किया जाए? झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया.

Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने राज्य में नगर निगम और नगर निकायों का चुनाव नहीं कराने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी. अदालत ने कहा कि चूंकि प्रथम दृष्टया उनका विचार है कि अवमानना की गयी है. इसलिए झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी 25 अगस्त को अदालत के समक्ष सशरीर उपस्थित हों. इसके साथ ही कहा कि क्यों नहीं याचिका संख्या 1923/2023 व 2290/2023 में चार जनवरी 2024 को पारित आदेश की अवमानना करने के लिए आप पर आरोप तय किया जाए.

ऐसे कभी नहीं स्थापित होगा कानून का राज-हाईकोर्ट

राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि राज्य का यही रवैया रहा, तो कानून का राज कभी स्थापित नहीं हो पाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त का पद न भरकर राज्य शहरी स्थानीय निकायों का चुनाव टालने की कोशिश कर रहा है और इस तरह जानबूझ कर इस न्यायालय के उस आदेश के क्रियान्वयन में भी देरी कर रहा है, जिसमें चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था.

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स्थानीय निकायों का चुनाव टालना संविधान पर सीधा हमला-हाईकोर्ट

अदालत ने रिट याचिकाओं पर निर्णय देते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव न कराना जनता की आवाज दबाने के समान है. कोई भी अस्थायी व्यवस्था लंबे समय तक जारी नहीं रह सकती, खासकर जब वह चुनाव से संबंधित हो. अदालत ने यह भी माना है कि प्रशासक द्वारा स्थानीय निकायों का संचालन लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है. स्थानीय निकायों का चुनाव टालना संविधान पर सीधा हमला है और लोकतंत्र पर भी हमला है. अदालत ने कहा कि राज्य द्वारा अदालत के आदेश का पालन न करके, खासकर जब वह अंतिम रूप ले चुका है, कानून के शासन को भी खतरे में डाला गया है. यह अवज्ञा के अलावा और कुछ नहीं है. ये सब पूरी तरह से राज्य कार्यपालिका के कारण है, जो इसके लिए विशेष रूप से दोषी है.

सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया है-अधिवक्ता

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि चार जनवरी 2024 के आदेश का राज्य सरकार ने अब तक पालन नहीं किया है. नगर निकायों का चुनाव नहीं हुआ है. प्रशासक द्वारा नगर निगम व नगर निकायों का संचालन किया जा रहा है, जो संविधान व अदालत के आदेश का उल्लंघन है. 25 मार्च 2025 से राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद भी खाली है. राज्य सरकार ने अब तक उसकी नियुक्ति नहीं की है. यह स्थिति चुनाव में देरी का प्रमुख कारण बनी हुई है.

नगर निगम व नगर निकाय चुनाव कराने की मांग

प्रार्थी रोशनी खलखो व अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. उन्होंने नगर निगम व नगर निकाय चुनाव कराने के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. राज्य में वर्ष 2020 के जून से 12 शहरी निकायों में चुनाव नहीं हुए हैं. कई नगर निगम का संचालन बिना चुनाव कराये किया जा रहा है. राज्य में 27 अप्रैल 2023 के बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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