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राजमहल संसदीय सीट: तैयारी में जुटा NDA और इंडिया गठबंधन, झामुमो से विजय हांसदा और भाजपा से ये हैं दावेदार

राजनीति ने करवट बदली और संताल परगना में शिबू सोरेन का जादू राजमहल तक पहुंचा और 1991 में साइमन मरांडी ने लोकसभा जीत कर कांग्रेस की दखल कमजोर की. 1991 में झामुमो ने ऐसा आगाज किया कि मोदी लहर में भी अपनी जमीन बचा ली.

रांची: राजमहल संसदीय सीट पर जीत के लिए ‘इंडिया’ और ‘एनडीए’ खाद-पानी डाल रहे हैं. जातीय समीकरण और वोटरों की गोलबंदी में पलड़ा इंडिया गठबंधन का भारी है, लेकिन भाजपा हवा का रुख बदलने की जुगत में है. यह ऐसी सीट हैं, जहां कांग्रेस ने 1971 में खाता खोला और अलग-अलग चुनाव में पांच बार कांग्रेसी प्रत्याशियों ने राजमहल लोकसभा सीट से परचम लहराया. ए-एम (आदिवासी-मुसलिम)समीकरण तब कांग्रेस के पक्ष में था.

राजनीति ने करवट बदली और संताल परगना में शिबू सोरेन का जादू राजमहल तक पहुंचा और 1991 में साइमन मरांडी ने लोकसभा जीत कर कांग्रेस की दखल कमजोर की. 1991 में झामुमो ने ऐसा आगाज किया कि मोदी लहर में भी अपनी जमीन बचा ली. वर्तमान सांसद विजय हांसदा के 2014 और 2019 की जीत के साथ राजमहल में झामुमो अब तक पांच बार जीत चुका है. कांग्रेस-झामुमो की इस सीट पर जीत के पुराने रिकॉर्ड से यह तय है कि भाजपा को पूरी रणनीति के साथ जातीय गोलबंदी की घेराबंदी तोड़नी होगी. हालांकि, 1998 और 2009 में भाजपा दो-बार यह सीट निकाल चुकी है.

इस बार यहां का मिजाज बदला-बदला सा होगा :

इस बार इस सीट का मिजाज थोड़ा बदला सा होगा. 2004 में इस सीट से झामुमो के सांसद रहे हेमलाल मुर्मू 2014 में ही भाजपा चले गये थे, भाजपा ने हेमलाल को अपने पाले में कर इस सीट पर हायर एंड फायर किया, लेकिन 2014 व 2019 में मिस फायर ही रहा. अब हेमलाल फिर अपने घर लौटे, लेकिन झामुमो की राजनीति में वर्तमान सांसद विजय हांसदा की पैठ और दखल दोनों बढ़ी है.

झामुमो के अंदरखाने की खबर के मुताबिक, विजय हांसदा सेफ साइड में हैं. झामुमो शायद हेमलाल को विधानसभा चुनाव में एडजस्ट करे. इधर, भाजपा को मजबूत दावेदार की तलाश है. भाजपा में बाबूधन मुर्मू दावेदारी में आगे हैं. गैर आदिवासी वोटरों के बीच भी इनकी अच्छी लोकप्रियता है. ऐसे में भाजपा का इंटैक्ट वोट शायद न बिखरे. पार्टी छोड़कर गये ताला मरांडी की वापसी हो चुकी है.

वह भी टिकट की दौड़ में हैं. पूर्व विधायक मिस्त्री सोरेन भी पार्टी के एक खेमे की पसंद हैं. इधर, राजमहल के चुनाव में लोबिन हेंब्रम एक फैक्टर होंगे. लोबिन, फिलहाल बगावती तेवर में हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर पार्टी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. पार्टी लाइन से अलग हटकर रैली और सभा कर रहे हैं. सदन से सड़क तक लोबिन के विरोधी तेवर से पार्टी भी नाराज है. विधानसभा चुनाव में भी लोबिन के टिकट पर ग्रहण लग सकता है.

झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम अगर राजमहल में कोई दावं-पेच का प्लॉट तैयार करते हैं, तो झामुमो को नुकसान हो सकता है. दूसरी ओर सियासी गप्प यह भी है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. लोबिन भाजपा में गये, तो तस्वीर थोड़ी बदलेगी, लेकिन सवाल यह भी तैर रहा है कि भाजपा में स्थानीय कैडर उनको कितना पचा पायेंगे.

छह विधानसभा वाले संसदीय क्षेत्र में तीन पर झामुमो का कब्जा, भाजपा-कांग्रेस को एक-एक

राजमहल संसदीय सीट में छह विधानसभा शामिल हैं. इन छह में से तीन पर झामुमो का कब्जा है. बोरिओ, बरहेट, लिट्टीपाड़ा और महेशपुर विधानसभा सीट झामुमो को पास है. वहीं, राजमहल विधानसभा भाजपा और पाकुड़ कांग्रेस के पास है. संसदीय चुनाव में भाजपा को झामुमो के मजबूत गढ़ में सेंधमारी करनी होगी.

फ्लैश बैक

2019 वोट

विजय कुमार हांसदा, झामुमो 507830

हेमलाल मुर्मू, भाजपा 408635

2014 वोट

विजय कुमार हांसदा, झामुमो 379507

हेमलाल मुर्मू, भाजपा 338170

Anand Mohan
Anand Mohan
I have 15 years of journalism experience, working as a Senior Bureau Chief at Prabhat Khabar. My writing focuses on political, social, and current topics, and I have experience covering assembly proceedings and reporting on elections. I also work as a political analyst and serve as the Convenor of the Jharkhand Assembly Journalist Committee.

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