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Happy Diwali: दीपावली के दीया में इस खास तेल का इस्तेमाल करते हैं झारखंड के लोग, जानें इसकी खूबियां

Happy Diwali: झारखंड में जिस विशेष तेल का इस्तेमाल होता है, उसका नाम है-करंज. जी हां. झारखंड में करंज के तेल से दीये जलाये जाते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि करंज के तेल का इस्तेमाल सिर्फ झारखंड में होता है. जंगलों में मिलने वाले करंज के बीज से निकलने वाले इस तेल में कई तरह के औषधीय गुण भी हैं.

Happy Diwali: हर पर्व त्योहार की अपनी विशेषता होती है. अलग-अलग क्षेत्रों में त्योहारों को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. उनकी परंपराएं अलग-अलग होती हैं. लेकिन दीपों के पर्व दीपोत्सव यानी दीपावली के दिन देश और दुनिया में लोग दीया जलाते हैं. मिठाइयां बांटते हैं और खुशियां मनाते हैं. आमतौर पर दीये में सरसों तेल डाला जाता है या घी. लेकिन, झारखंड में सरसों तेल और घी के अलावा भी एक तेल है, जिसका इस्तेमाल किया जाता है.

सिर्फ झारखंड में करंज के तेल से जलता है दीपावली का दीया

झारखंड में जिस विशेष तेल का इस्तेमाल होता है, उसका नाम है-करंज. जी हां. झारखंड में करंज के तेल से दीये जलाये जाते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि करंज के तेल का इस्तेमाल सिर्फ झारखंड में होता है. जंगलों में मिलने वाले करंज के बीज से निकलने वाले इस तेल में कई तरह के औषधीय गुण भी होते हैं. कहते हैं कि करंज तेल के गंध से मच्छर भागते हैं. इसलिए इस तेल का इस्तेमाल दीया जलाने के लिए करते हैं.

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200 रुपये लीटर बिका करंज का तेल

पहले आदिवासी बहुल इलाकों में ही इस तेल का इस्तेमाल होता था. लेकिन, धीरे-धीरे अब शहरों में भी बड़े पैमाने पर करंज के तेल का इस्तेमाल होने लगा है. राजधानी रांची में इस वर्ष करंज का तेल 200 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक्री हुई है. पिछले साल करंज का तेल 100 रुपये लीटर लोगों ने खरीदा था. कीमत में 100 फीसदी के उछाल के बावजूद करंज के तेल की बिक्री में कोई कमी नहीं आयी.

करंज के तेल, फूल और पत्ती से बनती हैं कई दवाएं

करंज के तेल, फूल और पत्ती से कई गंभीर रोगों की दवा बनती है. मधुमेह यानी डायबिटीज, अल्सर, गठिया, वात, कफ, उदर रोग यानी पेट की बीमारियां और आंख की बीमारियों के इलाज में करंज से बनी दवाएं रामबाण का काम करती हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके तेल का प्रयोग किया जाता है. इतना ही नहीं, इसके तेल का इस्तेमाल कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में भी होता है. ग्रामीण इलाकों में लोग इस तेल का ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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