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Special Story : आम है बेहद खास

झारखंड का आम आम्रपाली अब विदेशों में भी अपनी पहचान बनाने लगा है.

मैंगो डे आज. भारत, पाकिस्तान और फिलीपीन्स का राष्ट्रीय फल

मैं आम हूं, लेकिन बेहद खास हूं. साल में एक बार आता हूं इसलिए बच्चे से लेकर बूढ़े तक मेरा बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं. मैं फलों का राजा और भारत का राष्ट्रीय फल भी हूं. मैंगिफेरा इंडिका मेरा वैज्ञानिक नाम है. दशहरी, लंगड़ा, चौसा, अल्फांसो (हापुस), तोतापुरी, और मालदा जैसी मेरी ढेरों किस्में हैं. लेकिन, इनमें मियाजाकी बेहद खास है. इस नाम से दुनिया का सबसे महंगा आम होने पर गुमान महसूस करता हूं.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान बना रहा झारखंड का आम, दो लाख एकड़ से अधिक में उत्पादन

मनोज सिंह@रांची

झारखंड का आम आम्रपाली अब विदेशों में भी अपनी पहचान बनाने लगा है. सउदी अरब के दो शहरों में लगाये गये आम महोत्सव में झारखंड के आम की खूब मांग रही. 400 रुपये किलो के आसपास आम्रपाली की बिक्री हूं. आने वाले वर्षों के लिए भी आर्डर मिल गया है. राज्य के संताल परगना वाले इलाकों में पहले से ही आम की व्यावसायिक खेती होती रही है. अब झारखंड के अन्य जिलों में भी खेती हो रही है. राज्य गठन के समय झारखंड में करीब 30 हजार एकड़ में आम का बगीचा था. इसके बाद कई तरह की योजना राज्य और केंद्र सरकार ने चलायी. कृषि विशेषज्ञ अभी राज्य में करीब दो लाख एकड़ से अधिक में आम उत्पादन का दावा करते हैं. अभी गुमला, सिमडेगा, खूंटी के साथ-साथ कोल्हान में भी आम की अच्छी फसल हो रही है. बीते वर्ष 2024 में करीब 527 टन के आसपास उत्पादन हुआ था. पिछले 10 साल से करीब इतना ही उत्पादन हो रहा है. फिलहाल झारखंड का राष्ट्रीय स्तर पर आम उत्पादन में कोई स्थान नहीं है.

झारखंड में पांच किस्मों के ज्यादा उत्पादन

झारखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग किस्म के आम का उत्पादन होता है. संताल परगना वाले इलाके में मालदह या लंगड़ा आम का उत्पादन होता है. इसके अतिरिक्त उत्तरी और छोटानागपुर वाले इलाके में आम्रपाली आम का उत्पादन बहुत होता है. इसके अतिरिक्त बीजू आम का उत्पादन ज्यादा मात्रा में होता है. लंगड़ा, मालदह, आम्रपाली, गुलाबखास और बीजू आम का प्रमुख रूप से उत्पादन होता है.

उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य में कई योजनाएं

राज्य में आम का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलायी गयी हैं. नाबार्ड ने यहां बाड़ी परियोजना चलायी है. इससे एक एकड़ में करीब 70 पौधे लगाये जाते थे. इसमें आम की कई तरह की वेराइटी लगायी जाती थी. मनरेगा के तहत 2016 में प्लांटेशन शुरू कराया गया. इसमें एक एकड़ में 112 पौधा लगाया गया था. नेशनल होर्टिक्ल्चर बोर्ड ने आम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना लायी. इसके तहत एक एकड़ में 40 पौधे लगाये जाते थे. ग्रामीण विकास विभाग ने आम के लिए विशेष एसजीएसवाइ योजना चलायी थी. इसमें आम्रपाली का प्लांटेशन कराया गया था. केवल मनरेगा से 1.5 लाख एकड़ में आम का प्लांटेशन कराया जा चुका है. इस वर्ष भी 40 हजार एकड़ में आम का पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

अलग-अलग समय में तैयार होता है आम

शुरू में जब लोग निजी आम का बगान लगाते थे, तो अलग-अलग किस्मों के पौधे लगाते थे. सबसे पहले तैयार होने वाली किस्म (मई अंत से जून 15 तक) गुलाबखास लगाया जाता था. इसके बाद 15 से 20 जून के आसपास तैयार होने वाला हिमसागर लगाया जाता था. इसके बाद बाजार में मालदह या लगड़ा के आने का समय हो जाता है. लंगड़ा और जरदालू के बाद ही बाजार में आम्रपाली आता है.

आम्रपाली के उत्पादन से घटी मिट्टी की उर्वरता

भारत सरकार की संस्था होर्टिक्लचर एंड एग्रो फॉरेस्ट्री रिसर्च प्रोग्राम (हार्प), नामकुम के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ शिवेंद्र कुमार बताते हैं कि झारखंड का उत्पादन और खेती बढ़ी है. लोगों को ज्यादा उत्पादन मिले, इसके लिए आम्रपाली को बढ़ावा दिया गया. राज्य में करीब 90 फीसदी स्थानीय उत्पादन आम्रपाली का है. इसके साथ एक चुनौती है. इससे झारखंड की मिट्टी की गुणवत्ता धीरे-धीरे कम होगी. इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा. इसके लिए योजना तैयार होनी चाहिए. उसका गंभीरता से पालन भी होना चाहिए.

भारत में 10.99 मिलियन टन आम का उत्पादन

देश में करीब 1.23 मिलियन हेक्टेयर में आम की खेती होती है. इसमें करीब 10.99 मिलियन टन के आसपास उत्पादन हर साल होता है. पूरे विश्व का करीब 55 से 57 फीसदी तक आम का उत्पादन भारत में होता है. इसमें सबसे अधिक आम का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है. वहीं, कुल उत्पादन का करीब 23 फीसदी उत्पादन होता है.

पिछले 10 साल में आम उत्पादन की स्थिति

वर्ष – उत्पादन (टन में)2014-5172015-523

2016-3932017-438

2018- 4352019-432

2020-4372021-452

2022-4592023-522

2024-527

आम उत्पादन वाले टॉप पांच राज्य

राज्य – उत्पादन प्रतिशतउत्तर प्रदेश – 26.8आंध्र प्रदेश – 22.3

बिहार – 7.1कर्नाटक – 6.5

मध्य प्रदेश – 4.3अन्य – 23.8

मियाजाकी सबसे महंगा आम

देश के कई राज्यों में जापानी आम मियाजाकी लगाया गया है. हालांकि यह प्रयोग के तौर पर लगाया गया है. इसकी कीमत तीन लाख रुपये प्रति किलो के आसपास है. पश्चिम बंगाल में उपजाये जाने वाले मोहितुर किस्म के आम की कीमत भी अधिक है. यह 1500-1700 रुपये पीस के हिसाब से बिकता है. यह मालदा जिले में होता है. यह वहां के रॉयल परिवार के लिए सुरक्षित रहता था. देश के कई स्थानों पर अब अल्फांसो (हापुस) की व्यावसायिक खेती होने लगी है. यह शुरू में 1500 से 2000 रुपये दर्जन तक बिकता है.

राज्यों और आम की किस्मों की जानकारीआंध्र प्रदेश : अल्लूमपुर बेंशन, बैगनफली, बंगोलोरा, चुरुकुरूसम, हिमायुद्दीन, स्वर्णरेका, नीलम, तोतापुरी.

बिहार : बथुआ, बंबइया, हिमसागर, किसन भोग, सुकुल, गुलाब खास, जरदालू, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, फजली.

गोवा : फेरानंदिन, मनकुरद.

गुजरात : अल्फांसो, केसर, राजापुरी, वनराज, जमादार, तोतापुरी, नीलम, दशहरी, लंगड़ा.

हरियाणा : दशहरी, लंगड़ा, सारुली, चौसा, फजली.

हिमाचल प्रदेश : दशहरी, लंगड़ा, साराउली, फजली.

झारखंड : जरदालू, आम्रपाली, मल्लिका, बंबइया, लंगड़ा, हिमसागर, चौसा, गुलाबखास.

कर्नाटक : अल्फांसो, बंगलोरा, मुलुगोवा, नीलम, पाइरी, बैगनपल्ली, तोतापुरी.

केरल : मुंडुप्पा, ओलूर, पाइरी.

मध्य प्रदेश : अल्फांसो, बंबइया ग्रीन, लंगड़ा, सुंदरेजा, दशहरी, फजली, नीलम, आम्रपाली, मल्लिका.

महाराष्ट्र : अल्फांसो, मनकुरद, मुलागोवा, पाइरी, राजापुरी, केसर, गुलाबी, वनराज.

ओडिशा : बेनशान, लंगड़ा, नीलम, स्वर्णरेखा, आम्रपाली, मल्लिका.

पंजाब : दशहरी, लंगड़ा, चौसा, मालदा.

राजस्थान : बंबइया ग्रीन, चौसा, दशहरी, लंगड़ा.

तमिलनाडु : बैगनफल्ली, बंगलोरा, नीलम, रुमानी, मुलगोवा, अल्फांसो, तोतापुरी.

उत्तर प्रदेश : बंबइया ग्रीन, दशहरी, लंगड़ा, सफेदा लखनऊ, चौसा, फजली.

प बंगाल : बंबइया, हिमसागर, किशन भोग, लंगड़ा, फजली, गुलाबखस, आम्रपाली, मल्लिका.

फलों के राजा ”आम” के बारे में रोचक तथ्य

आम की खेती का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. संस्कृत ग्रंथों में इसे रसाल और सहकार कहा गया है.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 57% हिस्सा देता है.

भारत में आम की लगभग 1000 से अधिक किस्में पायी जाती हैं. इनमें दशहरी, लंगड़ा, हापुस (अल्फांसो), तोतापुरी, केसर और बंबइया प्रसिद्ध.

महाराष्ट्र का ”अल्फांसो आम” स्वाद, खुशबू और गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में मशहूर. इसे किंग ऑफ मैंगोज भी कहा जाता है.

आम को आयुर्वेद में पाचन को बेहतर करने, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और त्वचा को निखारने वाला फल माना गया है.

आम भारत से अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों और दक्षिण-पूर्व एशिया तक निर्यात किया जाता है. खासतौर पर आम का पल्प, जूस और अचार विदेशों में पसंद किये जाते हैं.

आम के व्यंजनों का स्वाद

होटल-रेस्टोरेंट में मैंगो डिलाइट की खास मांग

शहर के प्रमुख होटलों और रेस्टोरेंट्स में आम से बने व्यंजनों की खास मांग होती है. खासकर डेजर्ट की श्रेणी में मैंगो आधारित पकवान लोगों को खूब पसंद आते हैं. होटल कैपिटोल हिल के शेफ मृणाल के अनुसार, आम के सीजन में ””मैंगो डिलाइट”” सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला डेजर्ट है. यह एक शाही डेजर्ट है, जिसमें ताजे आम के टुकड़े, बटर-हनी-लेमन सॉस और आइसक्रीम स्कूप का संयोजन किया जाता है. इसे कांच के ग्लास में परोसा जाता है और ऊपर से चेरी और मिंट पत्तियों से आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. स्वाद के साथ इसकी प्रस्तुति भी आकर्षित होती है.

आम की मलाइदार बर्फी भी लाजवाब

आम की मलाइदार बर्फी, जिसे शहर के प्रसिद्ध कैटरर कमल कुमार अग्रवाल ने प्रस्तुत किया है. आम, नारियल, क्रीम और केसर से बनी यह मिठाई घर-घर में पसंद की जा रही है. बर्फी तैयार करने के लिए तीन पके हुए आम को काटकर पीसा जाता है. एक कप चीनी और आधा कप दूध की क्रीम मिलाकर महीन मिश्रण तैयार किया जाता है. मिश्रण को धीमी आंच पर पकाया जाता है और उसमें 400 ग्राम ताजा कसा हुआ नारियल मिलाया जाता है. जब मिश्रण गाढ़ा होकर पैन छोड़ने लगे, तो उसमें केसर मिलाया जाता है और घी से चिकनी की गयी थाली में फैला दिया जाता है. ठंडा होने के बाद इसे बर्फी के आकार में काटकर परोसा जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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