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बंद हो गया खलारी का फिल्टर प्लांट, चार हजार घरों में होती थी जलापूर्ति

चार हजार घरों में जलापूर्ति करनेवाला बुकबुका स्थित वाटर फिल्टर प्लांट अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गया है.

खलारी. खलारी प्रखंड की पांच पंचायतों के चार हजार घरों में जलापूर्ति करनेवाला बुकबुका स्थित वाटर फिल्टर प्लांट अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गया है. प्लांट को सपही नदी से पानी सप्लाई करनेवाला करंजतोरा स्थित पंप में आयी जटिल खराबी से यह स्थित उत्पन्न हुई है. पूर्व में भी इसी पंप में आयी तकनीकी खराबी के कारण करीब तीन महीने प्लांट बंद रहा था. खराबी दूर करने के बाद 10 जून को प्लांट चालू हुआ. 11 जून से लोगों को पानी मिलना शुरू हो गया. परंतु 25 दिन सुचारू रूप से चलने के बाद पांच जुलाई को पुनः पंप में खराबी आ गयी. बताया जा रहा है कि पंप के बदले नया पंप लगाने से ही समस्या का हल संभव है. प्रखंड की बुकबुका, खलारी, हुटाप, चूरी दक्षिणी तथा चूरी उत्तरी पंचायत के करीब चार हजार घरों में 5.5 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता के इस प्लांट से जलापूर्ति हो रही थी. अब पानी आपूर्ति की अनिश्चितता से लोग चिंतित व परेशान हैं.

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना समिति ने हाथ खड़े किये, सौंपा त्याग पत्र

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना समिति के अध्यक्ष, सचिव व सदस्य ने प्लांट चलाने में असमर्थता जताते हुए खलारी बीडीओ को अपना त्याग पत्र सौंप दिया. समिति की अध्यक्ष खलारी पंचायत की मुखिया तेजी किस्पोट्टा, सचिव चूरी दक्षिणी पंचायत के मुखिया मलका मुंडा, सदस्य चूरी उत्तरी पंचायत की मुखिया सुनीता देवी ने खलारी बीडीओ को सौंपे त्याग पत्र में कहा है कि वे लोग प्लांट चलाने में असमर्थ हैं. मालूम हो कि समिति शुरू से ही वित्तीय संकट का सामना कर रही थी. जल कर वसूलने का अधिकार संबंधित पंचायत के जलसहिया के पास होता है. जलसहियाओं व समिति के बीच तालमेल का अभाव रहा. प्लांट चलाने में जो मासिक खर्च है, वह भी समिति के पास नहीं रहा. वहीं आये दिन छोटी-बड़ी तकनीकी खराबी दुरूस्त करने में अनेक बार पैसे खर्च हुए. वाटर सप्लाई रुकने पर समिति को ही जबाबदेह ठहराया जाता है.

कर्मियों का 10 महीने से बाकी है वेतन

फिल्टर प्लांट में काम करनेवाले पांच कामगारों को दस महीने से वेतन नहीं मिला है. पूर्व में बकाया वेतन को ही लेकर प्लांट के कामगार एक मई से हड़ताल पर चले गये थे. इसे गंभीरता से लेते हुए बीडीओ की अध्यक्षता में नौ मई को एक बैठक बुलायी गयी. इसमें चार पंचायत की जलसहियाओं को जल संयोजन का 4 लाख 50 हजार रुपए लौटाने के लिए एक महीने का समय दिया गया. इसी दौरान कामगारों को एक महीने का बकाया देकर जल्द ही शेष बकाया भुगतान कर देने का भरोसा दिया गया. वहीं संबंधित पंचायत के पंचायत सेवकों को जल-कर वसूली की जिम्मेवारी सौंप दी गयी. लेकिन पंप की तकनीकी खराबी से सारी योजना पर पानी फिर गया है.

तीन महीने बंद रहने के बाद मात्र 25 दिन चल सका प्लांटजलापूर्ति की अनिश्चितता से क्षेत्र के लोगों की बढ़ी परेशानी

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