Birsa Munda : भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के वो नायक रहे, जिन्हें आज भी जनजातीय लोग गर्व से याद करते हैं. आदिवासियों के हितों के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. यही कारण है की आज भी देशभर में उनके योगदानों की चर्चा होती है. आदिवासी समाज उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं और ‘धरतीआबा’ के नाम से उन्हें संबोधित करते हैं. 15 नवंबर, 1875 को झारखंड के खूंटी स्थित उलिहातू गांव में उनका जन्म हुआ था. वहीं 9 जून 1900 को क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का निधन हो गया था. 25 वर्ष के अपने जीवन में भगवान बिरसा मुंडा ने कई क्रांतिकारी कार्य किये. चलिए आज आपको बताते हैं भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़ी कुछ अनोखी बातें, जिन्हें शायद आप न जानते हों.
बिरसा मुंडा से जुड़ी अनोखी बातें
- भारतीय संसद के संग्रहालय में भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर लगी हुई है. ये सम्मान जनजातीय समुदाय में अब तक केवल बिरसा मुंडा को ही मिल सका है.
- बिरसा मुंडा और उनके परिवार ने इसाई धर्म को अपनाया था. जिसके बाद बिरसा मुंडा का नाम बदलकर ‘दाऊद मुंडा’ रखा गया था.
- बिरसा मुंडा ने 1895 में ‘बिरसाइत’ धर्म की स्थापना की थी. जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग बिरसाइत धर्म से जुड़े थे.
- बिरसा मुंडा ने ‘मुंडा विद्रोह’ समेत कई आंदोलनों का नेतृत्व किया.
- बिरसा मुंडा के किसी अपने ने ही 500 रुपये के लालच में उनके गुप्त ठिकाने की जानकारी प्रशासन को दे दी थी. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
- बिरसा मुंडा को पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव से गिरफ्तार कर खूंटी के रास्ते रांची जेल लाया गया था.
- रांची जेल में ‘हैजा’ बीमारी की चपेट में आने से बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गयी थी.
- कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अंग्रेज जानते थे बिरसा मुंडा जेल से छूटने के बाद विद्रोह को वृहत रूप देंगे और तब यह अंग्रेजों के लिए और घातक होगा. इसलिए उन्होंने उनके दातुन/पानी में विषैला पदार्थ मिला दिया. जिससे उनकी मृत्यु हो गई.
- राजधानी रांची स्थित कोकर में डिस्टिलरी पुल के पास भगवान बिरसा मुंडा का समाधि स्थल है.
इसे भी पढ़ें
झारखंड सरकार के दो दर्जन से अधिक पद खाली, 17 IAS अफसर कर रहे पोस्टिंग का इंतजार
JBVNL : घर बैठे आसानी से जमा करें बिजली बिल, जानिए बिल भुगतान करने का सबसे आसान तरीका
राशन कार्डधारियों को बीते 6 माह से नहीं मिल रहा नमक, जानिए आखिर क्या है वजह