24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Explainer: जानिए क्या है हैबियस कॉर्पस पिटिशन, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कब की जाती है दाखिल

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 देश के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं. यह अनुच्छेद नागरिक को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस पिटिशन का अधिकार देता है. हैबियस कॉर्पस का शब्दिक अर्थ होता 'सशरीर'. इसे हिंदी में बंदी प्रत्यक्षीकरण कहा जाता है.

Rahul Guru

Ranchi News: रांची हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद बिना सूचना के उन्हें अपनी कस्टडी में रखा. हालांकि बाद में उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. इस बीच रांची हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस रिट( Habeas corpus) दाखिल की. इस प्रक्रिया के बाद एक बार फिर ‘हैबियस कार्पस रिट’ चर्चा में आया. लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में मौलिक अधिकारों की रक्षा करने वाले तमाम रिट में से यह अहम रिट है. आइए जानते हैं क्या है हैबियस कॉर्पस पिटिशन. सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में किन परिस्थितियों में की जाती है दाखिल

क्या है हैबियस कॉर्पस पीटिशन

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 देश के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं. यह अनुच्छेद नागरिक को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस पीटिशन का अधिकार देता है. हैबियस कॉर्पस का शब्दिक अर्थ होता ‘सशरीर’. इसे हिंदी में बंदी प्रत्यक्षीकरण कहा जाता है. इसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है जिसको बिना कानूनी औचित्य के अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो. या फिर पुलिस हिरासत में ली है पर उसे हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश नहीं की है. भारतीय संविधान में इसे इंग्लैंड से लिया गया है.

उच्च और उच्चतम न्यायालय कर सकते हैं जारी

बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट उच्च और उच्चतम न्यायालय रिट जारी कर सकती है. भारतीय संविधान के अनुछेद 32 के जरिये उच्चतम न्यायालय और अनुछेद 226 के जरिये उच्च न्यायालय पांच तरह के रिट बहाल कर सकता है, उसमे से एक है बंदी प्रत्यक्षीकरण.

कैसे काम करता है बंदी प्रत्यक्षीकरण

भारतीय संविधान आम लोगों को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति देता है. भारतीय संविधान के अनुछेद 32 के जरिये उच्चतम न्यायालय और अनुछेद 226 के जरिये उच्च न्यायालय में इसके लिए अपील की जा सकती है. यह याचिका सक्षम अधिकारी को यह आदेश देती है कि बंदी बनाए गए व्यक्ति को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे और उसकी गिरफ्तारी का वैध कारण बताए. अक्सर अदालत गिरफ्तार करने वाले और गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अवसर देती है कि वे बताएं कि गिरफ्तारी कानूनी रूप से जायज है या नहीं.

Rahul Kumar
Rahul Kumar
Senior Journalist having more than 11 years of experience in print and digital journalism.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel