रांची. नगड़ी में राज्य सरकार द्वारा रिम्स टू के लिए किया गया भूमि अधिग्रहण अवैध है. आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने बुधवार को एसडीसी सभागार में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नगड़ी की 227.71 एकड़ कृषि भूमि तत्कालीन बिहार सरकार ने कृषि विश्वविद्यालय के विस्तारीकरण और सीड बैंक के लिए अधिग्रहित की थी, पर 60 वर्षों तक इसका उपयोग नहीं हुआ और जमीन पर किसानों का ही कब्जा रहा. किसान सरकार को जमाबंदी भी देते रहे, जिससे स्पष्ट है कि भूमि अधिग्रहण की कोई आपातता नहीं थी. ग्लैडसन ने कहा कि इस अधिग्रहण में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 17 (1) और 17(4) का दुरुपयोग किया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एसएलपीसी संख्या 8939 वर्ष 2010 देवशरण एवं अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी केस का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि भूमि के कब्जे में देरी आपातता नहीं दर्शाती. कोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला दिया था. ग्लैडसन ने स्पष्ट किया कि वे रिम्स टू के विरोधी नहीं हैं, लेकिन इसके लिए बंजर जमीन खोजी जानी चाहिए, किसानों की खेती की जमीन नहीं ली जानी चाहिए. राज्य में भूमि अधिग्रहण सीएनटी जैसे विशेष कानूनों के तहत हो सकता है. संयुक्त पड़हा समिति के संयोजक शिबू अलबर्ट होरो, जिउरी खूंटी के बिनसाय मुंडा, सुषमा बिरुली, मेरी क्लाउडिया सोरेंग समेत अन्य ने भी संबोधित किया. शिबू होरो और बिनसाय ने कहा कि वे नगड़ी के रैयतों के साथ हैं और जरूरत पड़ने पर आंदोलन को समर्थन देंगे.
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