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झारखंड में सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल, जानें पूरा मामला, कैसे हुआ पर्दाफाश

झारखंड में सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल हुआ है. विधायक की अनुशंसा पर स्वयंसेवी संस्था के लिए जनवरी 2018 में बोलेरो खरीदी गयी थी, लेकिन बोलेरो के मालिक कार्यपालक अभियंता बन गये हैं. आइए जानते हैं कैसे पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ?

रांची, शकील अख्तर : विधायक की अनुशंसा पर स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) के लिए बोलेरो खरीदी गयी. इसका रजिस्ट्रेशन ग्रामीण विकास के कार्यपालक अभियंता के पदनाम पर हुआ. मालिक के पिता के कॉलम में यूजर शशिभूषण ओझा लिखा गया. मामले का पर्दाफाश होने पर कार्यपालक अभियंता और जिला परिवहन पदाधिकारी के बीच पत्र युद्ध की शुरुआत हो चुकी है.

बोकारो के विधायक बिरंची नारायण ने ‘स्वास्थ्य पर्यावरण संरक्षण संस्थान’ नामक एनजीओ को विधायक मद से बोलेरो खरीद कर देने की अनुशंसा की थी. इस अनुशंसा के आलोक में बोकारो जिला प्रशासन ने जनवरी 2018 में बोलेरो खरीद कर संबंधित एनजीओ दे दिया. एनजीओ को बोलेरो देने के पांच साल बाद इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ग्रामीण विकास के कार्यपालक अभियंता के पद नाम पर होने की जानकारी मिली. इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग (विशेष प्रमंडल) के कार्यपालक अभियंता ने जिला परिवहन पदाधिकारी को पत्र लिखा.

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झारखंड में सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल, जानें पूरा मामला, कैसे हुआ पर्दाफाश 3

कार्यपालक अभियंता की ओर से दो जनवरी 2024 को लिखे गये इस पत्र में यह कहा गया कि विधायक बिरंची नारायण की अनुशंसा के आलोक में उप विकास आयुक्त ने बोलेरो खरीदने के लिए 8.89 लाख रुपये की स्वीकृति दी. इसके बाद बोलेरो खरीद कर ‘स्वास्थ्य पर्यावरण संरक्षण संस्थान’ को दे दिया गया. लेकिन, संस्था ने बिना सहमति के बोलेरो का रजिस्ट्रेशन करा लिया. विधायक मद से खरीदी गयी इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर JH09AK6090 है. कार्यपालक अभियंता ने गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ग्रामीण विकास के बदले स्वास्थ्य पर्यावरण संरक्षण संस्था के नाम पर करने का अनुरोध किया.

डीटीओ ने कार्यपालक अभियंता को जिम्मेदार ठहराया

कार्यपालक अभियंता का पत्र मिलने के बाद जिला परिवहन पदाधिकारी ने मामले की जांच की और इसके लिए ग्रामीण विकास के कार्यपालक अभियंता को ही जिम्मेदार बताया. डीटीओ ने कार्यपालक अभियंता के भेजे गये पत्र में लिखा : आपके द्वारा 31 जनवरी 2018 को गाड़ी की खरीद कार्यपालक अभियंता, यूजर शशिभूषण ओझा के नाम पर खरीदी गयी. गाड़ी के विक्रेता मेसर्स मोडल फ्यूल्स द्वारा निर्धारित शुल्क के साथ फार्म-20 और फार्म-21 जिला परिवहन कार्यालय को भेजा गया. फार्म-21 में वर्णित ब्योरे के आलोक में तत्कालीन परिवहन पदाधिकारी ने बोलेरो का रजिस्ट्रेशन किया. इसमें मालिक कार्यपालक अभियंता, वर्तमान और स्थायी पता ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, चास दर्ज किया गया. अब गाड़ी के मालिक का नाम बदलने के लिए फार्म-29 और फार्म-30 के साथ शपथ पत्र और निर्धारित शुल्क देना होगा. इसके बाद ही मालिक का नाम बदला जा सकता है.

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Prabhat Khabar News Desk
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