डकरा. हिंदुस्तान के शहंशाह-ए-तरन्नुम के नाम से विख्यात सुर सम्राट मो रफी ने भारतीय संगीत जगत में जो योगदान दिया है, वह एक ऐसा ककहरा है, जिसके सूरों को पकड़ कर आज की पीढ़ी देश और दुनिया का मनोरंजन कर रही हैं. ये बातें एनके एरिया के महाप्रबंधक दिनेश कुमार गुप्ता ने कही. वह गुरुवार शाम को डकरा गुरु घासीदास जयंती स्थल पर आयोजित एक शाम-मोहम्मद रफी के नाम कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. मोहम्मद रफी के पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को मजदूर नेता अब्दुल्ला अंसारी, खलारी इंस्पेक्टर जयदीप टोप्पो ने भी संबोधित किया. क्षेत्र में संगीत के से जुड़े कलाकारों ने एक समूह बना कर इस यादगार शाम का आयोजन किया, जिसमें अधिकांश सीसीएल कर्मी हैं. दर्जन भर कलाकारों ने मिल कर मोहम्मद रफी के गाये एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत कर एक तरफ जहां लोगों का खूब मनोरंजन किया. वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी दिया कि कैसे कोई कलाकार अपने गीतों के माध्यम से हर क्षेत्रवाद, रंगभेद, धर्मभेद और सरहदों से परे हो जाता है. बताया गया कि मात्र 55 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया और निधन के कुछ मिनट पहले उन्होंने अपने जीवन का जो आखिरी गीत गाया था, वह शाम फिर क्यूं उदास है दोस्त गाकर विदा हो गये. इसके पहले उन्होंने जीवन का पहला गीत पंजाबी फिल्म गुल बलोच के लिए गाया और बाद में बंबई में उन्होंने हिंदी में शुरुआती गीत गांव की गोरी और जुगनू जैसी फिल्मों के लिए गाकर अमर हो गये. अंत में सभी कलाकारों ने मिलकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके पहले महाप्रबंधक ने फीता काट कर कार्यक्रम की शुरुआत की. इस अवसर पर दारा महंत, बब्लू किस्कू इम्तियाज अंसारी, लालचंद विश्वकर्मा, जगदीश चौहान, नारद राम, राजकुमार दास, आनंद कुमार, इनोसेंट, कमेश लोहार, उषा उरांव, ललिता मिंज, मालो देवी, पुष्पा देवी, तेरेसा तिग्गा, सोमरी देवी, निरुपा देवी, सीतामनी देवी आदि मौजूद थे.
डकरा में आयोजित एक शाम-मोहम्मद रफी के नाम में सीसीएलकर्मियों ने बांधी समा
स्थानीय कलाकारों ने मो रफी को संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित की
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