रांची. मां का दूध शिशु के लिये ईश्वरीय वरदान है, यह नवजात शिशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार है. राज्य में शिशु स्तनपान कराने के मामले में 33% की वृद्धि हुई है. लेकिन जन्म के एक घंटे के अंदर गाढ़ा पीला दूध पिलाने की परंपरा घटकर 21% रह गयी है, जो चिंता का विषय है. उक्त बातें अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने कही. वे विश्व स्तनपान दिवस पर नामकुम स्थित आइपीएच सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय स्वास्थ्य कार्यक्रम में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी भी भोजन में पाये जाने वाले पोषक तत्व अकेले मां के दूध में मौजूद हैं. इसलिए इसकी तुलना किसी अन्य भोजन और पोषक तत्वों से नहीं की जा सकती. उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से माताओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करने की अपील की. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता गर्भावस्था के दौरान ही महिलाओं को स्तनपान के फायदों से अवगत करायें. स्तनपान कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो जाता है. उन्होंने कहा कि सर्दी-खांसी व जुकाम होने पर माताएं स्तनपान कराना बंद कर देती हैं, जो गलत है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरके जायसवाल ने कहा कि छह माह तक पानी, घुट्टी या शहद देना गलत परंपरा है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ पुष्पा ने कहा कि स्तनपान शिशु का अधिकार है. मां के दूध से शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. शिशु स्वास्थ्य कोषांग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ एल आर पाठक ने आंकड़ों की चर्चा करते हुए एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने पर जोर दिया. कार्यक्रम के दौरान जीवीआइ अधीक्षक डॉ जेसीना, डॉ लाल माझी, डॉ कमलेश, डॉ अश्विनी, डॉ प्रदीप ने भी अपने विचार रखे.
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