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Ranchi news : प्रकृति और संस्कृति एक-दूसरे की पूरक : पीसीसीएफ

प्रकृति संरक्षण और जैव विविधता सुरक्षा पर चिंतन

: प्रकृति संरक्षण और जैव विविधता सुरक्षा पर चिंतन

: बाघों के संबंधित पुस्तक का किया विमोचन

वरीय संवाददाता, रांची

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने प्रकृति संरक्षण एवं जैव विविधता सुरक्षा पर चिंतन शिविर का आयोजन किया. जैप के शौर्य ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पीसीसीएफ (हॉफ) अशोक कुमार ने कहा कि झारखंड की प्रकृति और संस्कृति एक-दूसरे की पूरक है. यदि हमें अपनी संस्कृति की पहचान बचानी है, तो प्रकृति को सुरक्षित रखना होगा.

जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि झारखंड की पहचान ही जल, जंगल और जमीन से है. प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है. प्रकृति और संस्कृति झारखंड में एक दूसरे की पूरक हैं. डीएफओ पब्लिसिटी ने कहा कि यदि आज हमने प्रकृति के प्रति अपना दायित्व नहीं निभाया, तो आने वाली पीढ़ी को इसका मूल्य चुकाना होगा. कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के 500 से अधिक विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर बाघों के संबंधित एक पुस्तक का विमोचन किया गया. आओ वन बंधु बने वीडियो का विमोचन भी अतिथियों ने किया.

पैनल चर्चा में हिस्सा लिया विशेषज्ञों ने

इस मौके पर आयोजित पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. जल, वायु, मृदा एवं जैव विविधता संरक्षण पर आयोजित विमर्श में उषा मार्टिन के सीएसआर हेड मयंक मुरारी ने पर्यावरण संरक्षण में परंपरा और संस्कृति के महत्व की जानकारी दी. कहा कि हमारी परंपरा हमेशा जल, जंगल और जमीन के आसपास रही है. जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए उससे भावनात्मक लगाव जरूरी है. कैराली स्कूल के प्राचार्य राजेश पिल्लई ने कहा कि तकनीक हमारे दुश्मन नहीं है. यह आज हमारे जीवन का हिस्सा हो गया है. जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार ने कहा कि जंगल तभी बचेगा, जब हम जल बचायेंगे. डीएफओ वन्य प्राणी अवनीश मिश्र ने कहा कि बाघों का संरक्षण जरूरी है. मौके पर सीएमपीडीआइ के जीएम एके मिश्र ने भी विचार रखे.

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