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झारखंड: नयी शिक्षा नीति में शोध पर सीयूजे में क्या बोले पद्मश्री प्रोफेसर एपी दाश?

प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रोफेसर ए पी दाश ने नयी शिक्षा नीति पर दूरदर्शी विचार प्रस्तुत किया और उच्च शिक्षा में अनुसंधान में क्रांति लाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला. वे गुरुवार को रांची के मनातू के केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड स्थित विज्ञान भवन में नयी शिक्षा नीति 2020 में शोध पर बोल रहे थे.

रांची: मनातू के केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड स्थित विज्ञान भवन में नयी शिक्षा नीति 2020 में शोध केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर क्षिति भूषण दास के कुशल मार्गदर्शन में संपन्न हुआ. कार्यक्रम में सम्मानित मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर एपी दाश सभागार की शोभा बढ़ा रहे थे. कार्यक्रम में डीन ऑफ नेचुरल साइंसेज प्रोफेसर अरुण कुमार पाढ़ी, हेड ऑफ डिपार्टमेंट लाइफ साइंस, डॉ आशीष सचान सभागार में उपस्थित होकर मार्गदर्शन दिया. कार्यक्रम में डॉ मनोज कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. मंच का संचालन डॉ राजकिशोर मिश्र के द्वारा किया गया. कार्यक्रम दोपहर 2:45 बजे शुरू हुआ और शाम 5 बजे समाप्त हुआ. इसमें मुख्य रूप से विद्वान, शिक्षक और छात्र शामिल थे.

नयी शिक्षा नीति पर पेश किया दूरदर्शी विचार

प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर ए पी दाश ने नयी शिक्षा नीति पर दूरदर्शी विचार प्रस्तुत किया और उच्च शिक्षा में अनुसंधान में क्रांति लाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला. नीति ने पारंपरिक बंधनों को तोड़ने और समग्र शिक्षा के माहौल को बढ़ावा देने, नवाचार और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया. प्रोफेसर दाश की प्रस्तुति की मुख्य बात नीति का अंतःविषय अनुसंधान पर जोर देना था. विभिन्न विषयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, इस दृष्टिकोण का उद्देश्य व्यापक समाधानों के साथ वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करना है. यह शोधकर्ताओं को विविध ज्ञान भंडारों से आकर्षित करने में सक्षम बनाता है, जिससे अंततः अभूतपूर्व खोज और प्रगति होती है.

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समग्र अनुसंधान उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर ए पी दाश ने कहा कि नयी शिक्षा नीति अनुसंधान बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने, अत्याधुनिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने की वकालत करती है. इस निवेश से शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने और कुशल शोधकर्ताओं को बनाए रखने की उम्मीद है, जिससे शैक्षणिक संस्थानों के समग्र अनुसंधान उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.

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शैक्षणिक अनुभव को बनाएगी समृद्ध

नयी शिक्षा नीति के प्रमुख लाभों में से एक इसका अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना है. वैश्विक अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की सुविधा प्रदान करके, छात्र और विद्वान व्यापक परिप्रेक्ष्य तक पहुंच सकते हैं. विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं और पारस्परिक रूप से लाभप्रद परियोजनाओं पर काम कर सकते हैं.  इस तरह की अंतर-सांस्कृतिक बातचीत शैक्षणिक अनुभव को समृद्ध बनाने में योगदान करती है और अनुसंधान में सफलता के नए रास्ते खोलती है.

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उज्ज्वल भविष्य के लिए किया प्रेरित

प्रोफेसर एपी दाश की नयी शिक्षा नीति की व्याख्या ने दर्शकों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान में एक उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रेरित और आशान्वित किया. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे संस्थान इस प्रगतिशील ढांचे को अपनाते हैं, हम एक संपन्न अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र की आशा कर सकते हैं जो जटिल वैश्विक चुनौतियों का समाधान तैयार करता है और राष्ट्र को नवाचार और प्रगति की ओर प्रेरित करता है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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