Nursing Staff Spouse Transfer Policy News: ऑल इंडिया एम्स इम्प्लाईज यूनियन के नर्सिंग स्टाफ की वैवाहिक ट्रांसफर नीति की मांग को गैरसरकारी संगठनों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है. नयी दिल्ली की एक संस्था ने उनकी मांग का समर्थन करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में पति-पत्नी को एक ही शहर में पोस्टिंग देने की अपील की गयी है. सादिक मसीह मेडिकल सोशल सर्वेंट सोसाइटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से अपील की है कि मेडिकल इंस्टीट्यूट्स के लिए ट्रांसफर की जो नीति बनी हुई है, उसी का पालन नर्सिंग स्टाफ के लिए भी किया जाये.
नर्सों का पारिवारिक जीवन होगा सुखमय – सोसाइटी
सोसाइटी ने कहा है कि अगर इस नीति को लागू किया जाता है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा और उनका पारिवारिक जीवन भी सुखमय होगा. सोसाइटी की अपील है कि अगर पति-पत्नी एक ही शहर में रहकर काम करेंगे, तो उनकी कई परेशानियां दूर हो जायेंगी, जिससे उनके काम की एफिशिएंसी बढ़ेगी.
स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस होगा बेहतर
सोसाइटी ने कहा कि इसके कई फायदे भी होंगे. स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर हो जायेगा. तनाव और भावनात्मक चुनौतियों से निबटने में आसानी होगी. दोनों कम हो जायेगा. पति-पत्नी के बीच दूरी खत्म होगी, तो नर्सिंग स्टाफ नौकरी नहीं छोड़ेंगे और मेडिकल संस्थानों में उनकी मेहनत का असर भी दिखेगा.
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स्वास्थ्य क्षेत्र को भी होगा फायदा
सोसाइटी ने कहा है कि अगर सरकार इस मांग पर गौर करती है और पति-पत्नी को एक ही शहर में पदस्थापित करने की नीति को लागू करती है, तो इसका फायदा नर्सिंग स्टाफ्स को मिलेगा. इससे कार्यस्थल का वातावरण बेहतर होगा और अंतत: इसका लाभ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मिलेगा.
फैमिली प्लानिंग नहीं कर पा रहे कई लोग
ऑल इंडिया एम्स इम्प्लाईज यूनियन लगातार केंद्र सरकार से मांग कर रही है कि देश के अलग-अलग एम्स में कार्यरत पति-पत्नी को एक ही जगह पदस्थापित किया जाये. कई ऐसे मामले हैं, जिसमें पति और पत्नी दोनों एम्स में कार्यरत हैं, लेकिन दोनों के बीच कई हजार किलोमीटर की दूरी है. ऐसे में वे फैमिली प्लानिंग तक नहीं कर पा रहे हैं. कई लोगों ने परेशान होकर नौकरी छोड़ दी.
5 साल में 2583 नर्सिंग स्टाफ ने सरकारी नौकरी छोड़ी
केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि महज 5 साल में (1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2023) तक 2,583 नर्सिंग ऑफिसर्स और सीनियर नर्सिंग ऑफिसर्स ने इसी परेशानी की वजह से नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने किसी प्राइवेट संस्थान में नौकरी शुरू कर दी. सरकार से कई बार इस बारे में गुहार लगायी गयी, लेकिन यूनियन की मांगों पर गौर नहीं किया गया. अब मामला कोर्ट पहुंच चुका है. सभी पक्षों से कोर्ट ने जवाब मांगा है.
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