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रिम्स में कागजों पर चल रहा अंकोलॉजी विभाग

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मेडिकल अंकोलॉजी (कैंसर) विभाग कागज पर संचालित हो रहा है.

रांची. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मेडिकल अंकोलॉजी (कैंसर) विभाग कागज पर संचालित हो रहा है. विभाग को स्थापित हुए छह साल (जून 2019) हो गये, लेकिन विभाग को कोई स्थायी डॉक्टर नहीं मिला है. काफी समय पहले डॉ आलोक ने योगदान दिया था, लेकिन वे छह महीने बाद ही रिम्स को छोड़कर चले गये. इसके बाद से विभाग को चलाने के लिए न तो कोई सीनियर डॉक्टर मिला, न ही जूनियर डॉक्टर. रिम्स द्वारा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन आमंत्रित किया जाता है, लेकिन कोई आवेदन करने में रुचि नहीं दिखाता है. इधर, सूत्रों ने बताया कि मेडिकल अंकोलॉजिस्ट नहीं मिलने की वजह कम वेतनमान है. रिम्स में मुश्किल से मेडिकल अंकोलॉजिस्ट को 1.50 लाख रुपये प्रतिमाह मिलता है. वहीं, देश के बड़े अस्पताल और महानगरों के निजी अस्पताल में छह से आठ लाख रुपये की सैलरी है. ऐसे में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर रिम्स नहीं आना चाहता है. यहां बता दें कि रिम्स में कैंसर विभाग की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी. यहां सर्जिकल, मेडिकल और रेडिएशन अंकोलॉजी की स्थापना की गयी थी. वर्तमान में सर्जिकल और रेडिएशन अंकोलॉजी विभाग का संचालन हो रहा है.

सर्जिकल और रेडिएशन विशेषज्ञ देते हैं परामर्श

मेडिकल अंकोलॉजी ओपीडी का संचालन नहीं होने से कैंसर मरीजों को सर्जिकल और रेडिएशन ओपीडी में विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श लेना पड़ता है. जानकारी के अनुसार, रिम्स के कैंसर ओपीडी में 30 दिनों में औसतन 275-300 मरीज परामर्श के लिए आते हैं. कैंसर मरीजों को परेशानी तब बढ़ जाती है, जब कैंसर सर्जन ऑपरेशन या रेडिएशन के विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों का इलाज करते रहते हैं. ऐसे में मरीजों को इंतजार करना पड़ता है.

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