रांची. डायल 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा पर कर्मचारियों की हड़ताल का असर दिखाई देना शुरू हो गया है. राज्य भर में मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों ने मंगलवार को दूसरे दिन भी काम नहीं किया. इधर, झारखंड प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. इसके अलावा कई अन्य जगहों पर भी धरना-प्रदर्शन हुआ. हड़ताल के चलते रामगढ़ व हजारीबाग में रेफर पेशेंट को रिम्स तक पहुंचने में दिक्कत हुई. रांची जिले में भी 21 एंबुलेंस के पहिये थमने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर पड़ा है और मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिलने पर निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ा. हड़ताल पर गये कर्मचारियों की मांग है कि नौकरी की गारंटी, मानदेय भुगतान, कार्यस्थल पर सम्मान और श्रम विभाग के निर्धारित मानकों का पालन किया जाये. एंबुलेंस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरज तिवारी ने बताया कि सम्मान फाउंडेशन और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ पूर्व में हुए समझौते का पालन नहीं किया गया, जिससे कर्मियों में असंतोष है. कर्मचारियों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक लिखित आश्वासन और ठोस समाधान नहीं मिलेगा, वे हड़ताल से पीछे नहीं हटेंगे.
सम्मान फाउंडेशन का दवा
सेवा प्रदाता कंपनी सम्मान फाउंडेशन का दावा है कि 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा से जुड़े कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बावजूद 60-70 एंबुलेंस ही सेवा से बाहर हैं. 28 जुलाई को 580 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया. आमतौर पर दिन भर में आठ से 10 हजार कॉल आता है. हालांकि, एंबुलेंस की सेवा में नहीं रहने से कॉल रिजेक्ट भी हुए.
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