Sadar Hospital | रांची, बिपिन सिंह: रांची वासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. राजधानी के लोग कम कीमत पर सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा ले सकते हैं. इस बाबत जानकारी मिली है कि सदर अस्पताल में अब मरीज निजी अस्पतालों और क्लिनिकों के डॉक्टरों की पर्ची पर भी सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करवा सकेंगे. इसके लिए उन्हें सिर्फ निजी डॉक्टरों द्वारा जांच के लिए जारी की गयी पर्ची साथ लानी होगी.
कृष्णा डायग्नोस्टिक के साथ MOU
बताया गया कि पर्ची लाने के बाद मरीज को कोई मंजूरी नहीं लेनी होगी. वह सीधे काउंटर पर पहुंच कर अपनी प्रक्रिया पूरी करते हुए जांच करा सकेंगे. इस संबंध में कृष्णा डायग्नोस्टिक के साथ एमओयू किया गया है. एमओयू की शर्तों के अनुसार, कृष्णा डायग्नोस्टिक को सीटी स्कैन और एमआरआई से जो भी मुनाफा होगा, उसका 15% हिस्सा सदर अस्पताल को मिलेगा.
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जल्द शुरू होगी एमआरआई जांच
इधर, सदर अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन के इंस्टॉलेशन के बाद रोजाना मरीज अपनी जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां 128 स्लाइस वाली आधुनिक मशीन से मरीजों का सीटी स्कैन किया जा रहा है. पीपीपी मोड के तहत कृष्णा डायग्नोस्टिक मरीजों को यह सेवा दे रहा है. हालांकि, लगातार हो रही बारिश के कारण एमआरआई मशीन से फिलहाल सेवा शुरू नहीं हो पा रही है. मौसम साफ होने के बाद रेडियोलॉजिस्ट एमआरआई जांच भी शुरू कर देंगे.
कम कीमत पर हो रही सीटी स्कैन जांच
वहीं, सदर अस्पताल के साथ हुए एमओयू की शर्तों के मुताबिक, आयुष्मान मरीजों और सभी लाभार्थियों की सीटी स्कैन जांच मुफ्त में होगी. जबकि, आम मरीजों के लिए सीजीएचएस द्वारा तय सरकारी राशि के अनुसार शुल्क लिया जायेगा, जो बाजार दर से एक चौथाई कीमत है.
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इनकी होगी निःशुल्क जांच
जानकारी के अनुसार, आयुष्मान के लाभार्थी, राशन कार्ड धारक और पुलिस केस आदि विशेष मामलों में जांच निःशुल्क होगी. यहां स्थापित 128 स्लाइड की सीटी स्कैन मशीन से गैर आयुष्मान रोगी महज 1035 रुपये से जांच करा सकेंगे. वहीं, एमआरआई जांच करवाने की कीमत भी काफी कम रखी गयी है. यहां 1662 रुपये में एमआरआई जांच की सुविधा उपलब्ध है.
सुपरस्पेशियलिटी विभागों के मरीजों को राहत
सदर अस्पताल में करीब एक दर्जन सुपरस्पेशियलिटी विभागों का संचालन हो रहा है. इन विभागों में न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, ऑन्कोलॉजी, इएनटी, गैस्ट्रो, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी, समेत अन्य विभाग शामिल हैं. ऐसे में बीमारी का पता लगाने के लिए जब चिकित्सक मरीजों को इसकी जांच के लिए लिखेंगे, तो इसके लिए अब मरीजों को बाहर नहीं जाना होगा. पहले इसके लिए पांच-सात किमी दूर रिम्स स्थित हेल्थ मैप जाना पड़ता था. इससे कई बार गंभीर मरीजों की जान को जोखिम रहता था.