रांची. पतरातू में जेबीवीएनएल और एनटीपीसी की ज्वाइंट वेंचर कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) से बिजली उत्पादन के लिए यूनिट तैयार है. यूनिट नंबर एक से 800 मेगावाट का उत्पादन 15 अगस्त के बाद कभी भी शुरू हो सकता है. बताया गया कि इस यूनिट से उत्पादित बिजली के लिए पतरातू-कटिया ट्रांसमिशन लाइन बनकर तैयार हो गयी है. गुरुवार को इसकी टेस्टिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. पतरातू से उत्पादित बिजली लेने के लिए झारखंड ऊर्जा संचरण निगम की सात किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन का ट्रायल किया गया है. यह लाइन पतरातू प्लांट से लेकर पतरातू में ही स्थित कटिया ग्रिड को जोड़ती है. ताकि, इससे उत्पादित बिजली सीधे ग्रिड को मिल सके. फिर इस ग्रिड से हटिया ग्रिड को बिजली आपूर्ति की जा सकेगी. लाइन में बिजली प्रवाहित कर टेस्ट किया गया है.
पहले चरण में 800 मेगावाट का होना है उत्पादन
पीवीयूएनएल से पहले चरण में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है. इसका सफलतापूर्वक दो ट्रायल रन पूरा किया जा चुका है. छह अगस्त को तीसरा ट्रायल रन पूरा होगा. गौरतलब है कि इससे उत्पादित बिजली का 85 फीसदी हिस्सा झारखंड को मिलेगा, जबकि 15 फीसदी हिस्सा केंद्र का होगा. लगभग 700 मेगावाट बिजली पहली यूनिट से झारखंड को मिलने लगेगी. पतरातू में पहले चरण में 800-800 मेगावाट की तीन यूनिट बननी है. यूनिट एक तैयार है. इस वर्ष के अंत तक और दो यूनिट को भी तैयार कर लिया जायेगा. पतरातू में कुल 4000 मेगावाट का प्लांट लगाया जाना है. इससे झारखंड को 3200 से 3500 मेगावाट तक बिजली मिलेगी. वर्तमान में पीक आवर में झारखंड को 3200 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती है. कहा जा रहा है कि पतरातू के चालू होते ही अकले इसी प्लांट से झारखंड की जरूरत पूरी हो जायेगी.
क्या कहते हैं अधिकारी
ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव व जेबीवीएनएल के निदेशक (कॉमर्शियल) सौरभ सिन्हा ने बताया कि छह अगस्त को पीवीयूएनएल की टेस्टिंग होनी है. 15 अगस्त के बाद कभी भी कॉमर्शियल उत्पादन शुरू हो सकता है.
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