: सेवानिवृत्त 18 कर्मचारियों की सेवा को पेंशन के लिए योग्य माना रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने पेंशन व ग्रेच्यूटी को लेकर दायर याचिका पर फैसला सुनाया. अदालत ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए जल संसाधन विभाग में मुहर्रिर के अस्थायी पद पर 30 वर्षों से लगातार काम करने के बाद सेवानिवृत्त हुए 18 कर्मचारियों की सेवा को पेंशन के लिए योग्य माना और राज्य सरकार को चार माह के भीतर पेंशन व ग्रेच्यूटी का भुगतान करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि पद भले ही अस्थायी था, लेकिन प्रार्थियों ने बिना टूट के लंबे समय तक नियमित सेवा दी है, जिसे केवल अस्थायी कह कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. चार माह के भीतर सभी प्रार्थियों (या उनके परिजनों) को पेंशन व ग्रेच्यूटी की सभी देय राशि का भुगतान किया जाये. अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति 15 वर्ष से अधिक की सेवा कर चुका है और उसे नियमित वेतन मिलता रहा है, तो वह पेंशन के लिए योग्य है. अदालत ने बिहार पेंशन नियमावली (जो झारखंड में भी लागू है) के नियम 59 तथा इससे संबंधित सरकारी परिपत्र (12.08.1969 एवं 13.01.1975) का उल्लेख करते हुए प्रार्थियों को पेंशन और ग्रेच्यूटी का पात्र बताया. पूर्व में 18 जून को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता साैरव शेखर ने पक्ष रखते हुए पेंशन सहित अन्य सेवानिवृत्ति लाभ देने का आग्रह किया था. अधिवक्ता श्री शेखर ने बताया कि जल संसाधन विभाग में पीरियडिकल रेंट कलेक्टर, क्लर्क, मुहर्रिर व अमीन जैसे पदों पर कार्यरत थे. इनकी नियुक्ति 1969 से 1980 के दशक में हुई थी और प्रार्थियों ने बिना सेवा में टूट के 30 वर्षों तक कार्य किया है. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रार्थी मौसमी या अस्थायी कर्मचारी थे. उन्हें पेंशन का अधिकार नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुरेंद्र नाथ महतो, उमाचरण महतो सहित 18 कर्मियों ने याचिका दायर की थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है