रांची. मूलवासी सदान मोर्चा के बैनर तले झारखंड के मूलवासी सदानों की अधिकारों की हो रही उपेक्षा को लेकर ग्रैंड ओकेजन बैंक्वेट हॉल में विचार गोष्ठी हुई. इसमें परिसीमन, पेसा कानून, स्थानीय तथा नियोजन नीति, मूलवासी सदानों की भाषा, संस्कृति के संरक्षण व विस्थापन नीति पर परिचर्चा हुई. मौके पर मोर्चा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि राज्य के नेताओं में अदूरदर्शिता के कारण मूलवासी सदानों की लगातार उपेक्षा हो रही है. हम आदिवासियों के अधिकारों का कभी विरोध नहीं करते हैं, हम चाहते हैं कि सरकार मूलवासी सदानों के अधिकारों को भी संरक्षित करे. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह राज्य के लिए घातक होगा. पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने कहा कि मूलवासी के सहयोग के बिना अलग राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती थी, अलग झारखंड की मांग के लिए मेरे नेतृत्व में 12 सांसदों ने इस्तीफा लिखकर प्रधानमंत्री को दिया था तब जाकर अलग राज्य के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सहमति बनी थी, लेकिन आज मूलवासी सदान की उपेक्षा देखकर मन बहुत व्यथित है. पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि राज्य में राजनीतिक सामाजिक विस्थापन के साथ-साथ सांस्कृतिक विस्थापन हो रहा है जो काफी चिंता का विषय है, इसलिए हमें जागरूक होना होगा. प्रो शाहिद हसन ने कहा कि अब हिंदू और मुस्लिम दोनों को मिलकर आंदोलन करना होगा. अगर ऐसा नहीं कर पाएं तो यह सदानों के लिए घातक है. उन्होंने कहा कि जब आप संविधान बचाओ रैली कर रहे हैं तो संविधान के अनुरूप ही जिसकी जितनी आबादी, उसकी भागीदारी को लागू करने पर जोर देना चाहिए. विचार गोष्ठी में आंदोलनकारी क्षितिश कुमार राय, धनंजय राय, वासुदेव, मुमताज खान, उमरा खातून, बसंती देवी, आरती देवी, विशाल कुमार सिंह, चंदन प्रसाद, अभिषेक, मुकेश कुमार सिंह, अमित कुमार साहू, मुरारी गुप्ता, निखिल यादव, संजय महतो, सुशांत कुमार, धनीराम साहू, विकास कुमार, सखी चंद्र, बलदेव महतो, रंजीत कुमार, रामू साहू, अंकित राम, अर्पित राम आदि ने भी अपने विचार रखे.
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