रांची. आठ जुलाई को जेपीएससी द्वारा जारी सर्कुलर को लेकर विवि शिक्षक आक्रोशित हैं. इस मामले को लेकर रविवार को झारखंड यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जुटान) ने वर्चुअल बैठक बुलायी. इसमें राज्य के शिक्षकों ने हिस्सा लिया. मौके पर वक्ताओं ने जारी सर्कुलर को भ्रामक बताया है. मौके पर जुटान के अध्यक्ष डॉ जगदीश लोहरा ने कहा कि एक ओर सरकार नियमावली बनाती है, वहीं दूसरी ओर आयोग उन नियमों में अपने स्तर से पेंच डालता है. यह हास्यास्पद और अलोकतांत्रिक है. कहा कि जेपीएससी यह साबित करने पर तुला है कि नियम बनाना सरकार का अधिकार होते हुए भी उन्हें लागू करने या तोड़-मरोड़ने का अधिकार आयोग को है. बैठक में जुटान के उपाध्यक्ष डॉ अशोक नाग, डॉ अशोक रवानी, संयोजक डॉ कंजीव लोचन, पब्लिकेशन सेक्रेटरी डॉ विनय भरत व डॉ आनंद ठाकुर समेत काफी संख्या में शिक्षक शामिल हुए. शिक्षकों ने कहा कि जिस एक पृष्ठ के परफॉर्मा पर आपत्ति जतायी गयी है, वह तो विवि प्रशासन द्वारा एचआरडी की सलाह पर तैयार कर शिक्षकों को उपलब्ध कराया गया था. उसी परफॉर्मा को भर कर शिक्षकों ने समयबद्ध तरीके से जमा किया और विवि की स्क्रीनिंग कमेटियों ने पूरी प्रक्रिया के तहत उसकी जांच-पड़ताल कर जेपीएससी को भेजा. इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है, तो दंडात्मक कार्रवाई जैसी स्थिति क्यों उत्पन्न की जा रही है.
शिक्षकों ने कहा- इस तरह की आपत्ति अनुचित
मौके पर डॉ समीरा, डॉ नीलू, डॉ लाडली सहित कई शिक्षकों ने बिंदुवार तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट किया कि उनके द्वारा दी गयी सभी जानकारियां नियमानुसार और समय पर आयोग को दी गयी थीं. अब इस तरह की आपत्ति न केवल अनुचित है बल्कि शिक्षकों का मानसिक उत्पीड़न भी है.आज डोरंडा कॉलेज में होगी बैठक
14 जुलाई को डोरंडा कॉलेज में शिक्षकों की बैठक बुलायी गयी है. बैठक में वीमेंस कॉलेज की डॉ सीमा प्रसाद, एसएस मेमोरियल कॉलेज के डॉ रंजीत चौधरी, आरएलएसवाइ कॉलेज की डॉ स्मिता, पीजी विभाग की डॉ रीता कुमारी समेत कई शिक्षक मौजूद रहेंगे. डोरंडा कॉलेज शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ मंजू मिंज ने कहा कि सभी शिक्षकों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी.17 वर्षों से शिक्षकों को नहीं मिला एकेडमिक ग्रेड पे
कई शिक्षक 17 वर्षों से अधिक सेवा दे चुके हैं, लेकिन आज तक उन्हें एक भी एजीपी (एकेडमिक ग्रेड पे) का लाभ नहीं मिल सका है. शिक्षकों ने कहा कि यह बेहद विडंबना की बात है कि जबकि बिहार समेत देश के अन्य राज्यों में समयबद्ध प्रोन्नतियां दी जा रही हैं, तो झारखंड में शिक्षकों को नियमों के जाल में फंसाकर वर्षों से क्यों रोका जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है