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सनातन से जुड़ा रहा है सरना, राम से आदिवासियों का गहरा नाता – बाबूलाल मरांडी

राज्य के पहले मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत विश्व हिंदू परिषद से जुड़ कर की थी़ कॉलेज के जमाने में श्री मरांडी विहिप से जुड़े़

राज्य के पहले मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत विश्व हिंदू परिषद से जुड़ कर की थी़ कॉलेज के जमाने में श्री मरांडी विहिप से जुड़े़ वह प्रदेश में विहिप के संगठन महामंत्री बने़ विहिप में रहते हुए संताल परगना, छोटानागपुर व कोल्हान में संगठन का काम देखा़ विहिप में पहला प्रशिक्षण अयोध्या में ही लिया़ राम मंदिर निर्माण आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया़

वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मसजिद विध्वंस की घटना के दौरान भी भाजपा के बड़े नेताओं के साथ आयोध्या में मौजूद थे़ राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कई यादें व वर्तोमान राजनीतिक हालात पर श्री मरांडी ने प्रभात खबर के साथ अपना अनुभव साझा किया. श्री मरांडी कहते हैं : कोरोना संक्रमण काल खत्म होने के बाद वह स्वयं अयोध्या जायेंगे, पांच अगस्त ऐतिहासिक व यादगार दिन होगा़

Qराम मंदिर आंदोलन से कितना जुड़ाव रहा, यह मुद्दा कैसे बन गया?

बाबूलाल मरांडी : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संघर्ष सदियों पुराना है़ यह मसला 490 वर्षों का है़ सत्य की लड़ाई का प्रतीक रहा है यह संघर्ष़ देश में यह मुद्दा पिछले कई दशकों से समाज के केंद्र में रहा़ जनमानस बना कि अयोध्या में राम की मंदिर का निर्माण हो़ दूसरे दल हिचकिचाते थे, उसके राजनीतक कारण रहे होंगे़ लेकिन भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया़ वर्ष 1964 में विहिप का गठन हुआ़ मैं कॉलेज के जमाने से विहिप से जुड़ा रहा़ 1982 में रथ यात्रा हो, गंगा जल यात्रा (एकात्मता यज्ञ) रहा हो, उसमें हिस्सा लिया़ 1984 में विहिप ने राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष तेज किया, तो उसमें शामिल हुआ़ मुझे अयोध्या में कार सेवकों को भेजने की जिम्मेवारी मिली थी़ गिरिडीह में कार्यालय चलाता था़

Qराम मंदिर आंदोलन से आप भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, उम्मीद थी मंदिर बनेगी?

बाबूलाल मरांडी : कॉलेज में पढ़ते थे, उस समय से मैं जुड़ा हू़ं जैसा कि मुझे याद आता है 1983 में ग्रेजुशन कर रहा था, उस समय में संगठन मंत्री बना था़ विहिप में पहला प्रशिक्षण अयोध्या में ही हुआ था़ रांची में राजा बली लेन में विहिप का कार्यालय था़ संगठन मंत्री के रूप में मुझे संताल परगना, कोल्हान और छोटानागपुर में काम करने का मौका मिला़ रथ यात्रा निकालती थी, तो रात में एक-एक बजे तक लोग इंतजार करते थे़ उस समय ही उम्मीद थी कि यह मुद्दा जनमुद्दा है़ हर गांव की इच्छा है कि आयोध्या में मंदिर बने़ अपार जनसमर्थन मिलता था़ तब भाजपा की वैसी स्थिति भी नहीं थी़ ऐसा नहीं पार्टी अभियान में लगी हो़ आम लोग खुद आगे आते थे़

Qराम मंदिर निर्माण में लालकृष्ण आडवाणी की कितनी बड़ी भूमिका आप मानते हैं?

बाबूलाल मरांडी : लालकृष्ण आडवाणी जब भाजपा के अध्यक्ष बने़ पार्टी की जिम्मेवारी संभाली, तो उन्होंने इसका नेतृत्व किया़ अयोध्या में जिस दिन मजसिद टूटी थी, मैं भी वहां था़ मुझे याद है कि मंच पर आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी, उमा भारती जी सभी कार सेवकों से धैर्य रखने की अपील कर रहे थे़, लेकिन कार सेवकों के सब्र का बांध टूट चुका था़ उन्होंने शासन का जुल्म देखा था़ सभी मानने के लिए तैयार नहीं थे़

Qभाजपा-विहिप के लोग सरना स्थल से पवित्र मिट्टी अयोध्या ले जा रहे हैं, विरोध हो रहा है़

बाबूलाल मरांडी : लोगों का विरोध क्यों है, यह समझ से बाहर है़ समाज में गलतफहमी फैलायी गयी है़ राजनीति करने की कोशिश हो रही है़ आज आदिवासी समाज भी मानता है कि राम से उनके गहरे संबंध है़ं राम 14 वर्षों तक आदिवासी भाई-बहनों के साथ जंगल में रहे़ राम अयोध्या से सेना लेकर नहीं आये थे, आदिवासियों ने लंका तक उनका साथ दिया़ संताल परगना हो या दूसरी जगह के आदिवासी समाज पीढ़ियों से उनके नामकरण की परंपरा देखिए़ शिव, राम, श्याम, काली, पार्वती, दुर्गा से जुड़े नाम मिलेंगे़ पुरखों की यह परंपरा है़ सनातन से सरना का निकट संबंध रहा है़ उपासना के तरीके अलग-अलग हो सकते है़ं

Qसमाज को कौन बांट रहा है़ दूरी क्यों बन रही है?

बाबूलाल मरांडी : सरना स्थल की मिट्टी अयोध्या जा रही है, तो एकता का प्रतीक है़ पवित्रता का प्रतीक है़ आज ना कल गलतफहमी दूर होगी़ राम मंदिर का निर्माण पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधेगा़ मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारा, चर्च सब हमारी पावन धरती का हिस्सा है़ं समाज को बांट कर ही कुछ लोग राजनीति करना चाहते है़ं सनातन धर्म ने कभी किसी धर्म का अतिक्रमण या परिवर्तन का प्रयास नहीं किया़ हिंदू कोई धर्म नहीं है़ यह भारतीय समाज की जीवन पद्धति है़ राम को मानने वाला भी हिंदू है, नहीं माननेवाला भी हिंदू़ मूर्ति पूजा करनेवाला भी हिंदू है, नहीं करनेवाला भी हिंदू है़

Qसरना अलग धर्म कोड की मांग हो रही है, आप कितने सहमत हैं?

बाबूलाल मरांडी : सरना अलग धर्म कोड होना चाहिए़ हिंदू समाज के अंदर ही बौद्ध, जैन, सिख का अलग-अलग धर्म कोड है़ इसमें क्या परेशानी है़ धर्म कोड से उनकी परंपरा, विरासत से अलग होती है़ उनके अाराध्य अलग हो सकते हैं, लेकिन सब के मूल में धर्म की रक्षा ही आती है़ सनातनी हिंदू भी प्रकृति की पूजा करते है़ं वे भी सरना भगवान का प्रसाद खाते है़ं कहीं मुझे कोई दूरी तो दिखती नहीं है़ अलग धर्म कोड में कहीं कोई दिक्कत नहीं है.

Post by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar News Desk
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