Shibu Soren News | Why Dishom Guru Left Tundi: शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत धनबाद जिले के टुंडी से की थी. उन्होंने 70 के दशक में भूमिगत रहकर टुंडी में आदिवासियों को गोलबंद किया था. इस दौरान उन्होंने वहां के महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ संघर्ष छेड़ा था. इस आंदोलन को लोगों ने ‘धनकटनी आंदोलन’ का नाम दिया था. इसी आंदोलन में टुंडी के आदिवासियों ने शिबू सोरेन को ‘दिशोम गुरु’ का दर्जा दिया था.
1973 में जेएमएम का गठन हुआ, ’77 में हार गये चुनाव
चार फरवरी 1973 को धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गठन हुआ. 1977 में शिबू सोरेन बतौर निर्दलीय उम्मीदवार टुंडी विधानसभा से चुनाव लड़े. टुंडी में दिशोम गुरु की प्रसिद्धि के बावजूद वे जनता पार्टी के सत्यनारायण दुदानी से चुनाव में मात खा गये. उन्हें 8,532 वोटों से शिकस्त मिली. चुनाव हारने के बाद टुंडी से गिरिडीह होते हुए दिशोम गुरु संताल परगना पहुंचे और वहां के लोगों में राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाने में जुट गये. वहां के लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया. इस तरह गुरुजी ने टुंडी के बाद दुमका को अपनी कर्मभूमि बनाया.
गुरुजी ने दुमका से संताल में बनायी पैठ
वर्ष 1977 में गुरुजी दुमका पहुंचे और आदिवासियों के बीच अपनी पैठ बनायी. वर्ष 1980 में दुमका में कांग्रेस के दिग्गज नेता पृथ्वीचंद किस्कू को हराकर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शिबू सोरेन को 1,12,160 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू को 1,08,647 वोट मिले.
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Shibu Soren News: 1984 में हार गये चुनाव
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1984 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में लहर थी. इस लहर में शिबू सोरेन भी दुमका में नहीं टिके. कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू ने उन्हें हरा दिया. पृथ्वीचंद किस्कू को इस बार 1,99,722 और शिबू सोरेन को 1,02,535 वोट मिले थे.
1985 में जामा विधानसभा सीट से जीते गुरुजी
दुमका लोकसभा सीट पर मिली हार के बाद शिबू सोरेन वर्ष 1985 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे. वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन फिर दुमका से लड़े और कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू को हराया.
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दुमका में 2004 से 2014 तक 3 बार जीते गुरुजी
इसके बाद दिशोम गुरु लगातार वर्ष 1991 और वर्ष 1996 में दुमका से लोकसभा का चुनाव जीते. शिबू वर्ष 1998 में भाजपा के बाबूलाल मरांडी से 13 हजार वोटों से हारे थे. वर्ष 2002 के लोकसभा उप चुनाव में शिबू ने दुमका सीट पर फिर से जीत दर्ज की. वर्ष 2004, 2009 और 2014 में भी गुरुजी दुमका से चुनाव जीते. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुनील सोरेन ने उन्हें मात दे दी.
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