रांची. फादर स्टेन स्वामी लोगों की बातें करते थे. वे संगठित होने की और अधिकारों की बात करते थे. भीमा कोरेगांव के जिस केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया उसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था. जेल अस्पताल में उनकी मृत्यु हुई. उनका केस देखने वाले जज ने फादर स्टेन स्वामी के बारे में कहा था कि वे महान व्यक्ति थे. इस पर कोर्ट में मौजूद विधि अधिकारी ने विरोध किया था और कहा था कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? उक्त बातें बांके हाईकोर्ट के अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कही. वे एसडीसी सभागार में आयोजित चतुर्थ स्टेन स्वामी मेमोरियल व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. व्याख्यान का आयोजन मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने किया था. अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी के कंप्यूटर को हैक किया गया था. उन्हें गिरफ्तार किया गया. उनकी सारी दलीलों को नकारते हुए उन्हें जेल में रखा गया. एक 83 साल के वृद्ध की नियमित और मेडिकल जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गयी. इससे पूर्व आर्चबिशप विसेंट आइंद ने कहा कि आज हम फादर स्टेन स्वामी को लेकर शोक मनाने नहीं आये हैं. गौरवपूर्ण तरीके से उनकी राह पर कैसे चल सकें इस पर विचार करने आये हैं. आज का दौर पोस्ट ट्रूथ (सत्य से परे) का है. यह शब्दावली पहली बार 1992 में प्रयोग की गयी थी. उन्होंने कहा कि फादर स्टेन स्वामी इसी पोस्ट ट्रूथ एरा का शिकार हुए थे. जो चीजें प्रजातांत्रिक होती हैं वो प्रजातांत्रिक हो यह जरूरी नहीं है. कवयित्री जसिंता केरकेट्टा ने मौके पर अपनी कविताओं का पाठ किया. इससे पूर्व सभागार में उपस्थित लोगों ने फादर स्टेन स्वामी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. व्याख्यान की अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा ने की. इस दौरान सवाल और जवाब के दौर भी हुए. कार्यक्रम में पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव, राष्ट्रीय महासचिव वी सुरेश, राज्य अध्यक्ष दीनानाथ पेंते, राज्य महासचिव शशि सागर वर्मा, फादर डेविड सोलोमन, टॉम कांवला, मेघनाथ, फादर विपिन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
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