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Success Story: मिट्टी के घर से बना लिया पक्का मकान, अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे, खेतीबाड़ी से कैसे लखपति बन गयीं जयंती भगत?

Success Story: जयंती भगत कभी आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं. पारंपरिक खेती से किसी तरह परिवार चल रहा था. वह किरण स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. खेती की उन्नत तकनीक की ट्रेनिंग लीं. इसके बाद अच्छी आय से उनकी जिंदगी बदल गयी. लखपति दीदी के नाम से वह गुमला में मशहूर हैं.

Success Story: रांची: झारखंड के गुमला जिले की जयंती भगत की जिंदगी खेती की उन्नत तकनीक से बदल गयी है. आज वह लखपति दीदी के नाम से इलाके में जानी जाती हैं. एक वक्त था जब वह पारंपरिक खेती करती थीं. किसी तरह परिवार का भरण-पोषण होता था. आर्थिक तंगी से निकलकर आखिर कैसे आत्मनिर्भर बनीं जंयती?

मिट्टी के दो कमरे में कभी गुजरती थी जिंदगी


गुमला जिले के भरनो प्रखंड के पबियाटोली गांव की रहने वाली जयंती भगत को कभी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था. उनका परिवार एक छोटे से मिट्टी के घर में रहता था, जिसमें सिर्फ दो कमरे थे. पारंपरिक खेती से परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं. नयी नौकरी की तलाश भी मुश्किल थी, लेकिन जयंती की जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्होंने किरण स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का फैसला किया. समूह की बैठकों में उन्होंने कई जरूरी बातें सीखीं और उन्हें मदद भी मिली. अब वह आसानी से छोटे-छोटे कर्ज लेकर अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने लगीं. जयंती की खेती में रुचि को देखकर समूह की ओर से वह रांची के ओरमांझी गयीं, जहां जेएसएलपीएस के तहत तरबूज की उन्नत खेती और ड्रिप सिंचाई के बारे में उन्होंने सीखा.

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पारंपरिक खेती छोड़ करने लगीं उन्नत खेती


जयंती भगत ने पारंपरिक खेती छोड़कर ड्रिप सिंचाई करने का फैसला किया. समूह की मदद से उन्होंने और ट्रेनिंग ली और 2020 में जेएचआईएमडीआई प्रोजेक्ट से जुड़ गईं. शुरुआत में उन्होंने 25 डिसमिल में खेती की. जैसे-जैसे उन्हें इस नई पद्धति के फायदे दिखने लगे, उन्होंने अपनी खेती का क्षेत्र बढ़ाकर एक एकड़ कर लिया. टमाटर से उन्होंने अच्छी कमायी की. सालभर में वह करीब 3 लाख रुपए कमा लेती हैं.

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लखपति दीदी के नाम से जानी जाती हैं जयंती


जयंती भगत की सफलता की वजह से अब गांव के लोग उन्हें लखपति दीदी कहकर बुलाते हैं. अपनी कमाई से जयंती ने पक्का घर बनवाया है. अब उनका परिवार आराम से रहता है और उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. जयंती कहती हैं कि उन्नत खेती के कारण उनकी जिंदगी बदल गयी. आज इलाके में उनकी अपनी पहचान है. अच्छी आमदनी से अपने परिवार को भी आर्थिक मदद कर रही हैं.

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Guru Swarup Mishra
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मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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