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दाम्पत्य जीवन फिर से शुरू करने की शर्त पर अग्रिम जमानत संबंधी झारखंड हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट में खारिज

Supreme Court News: दाम्पत्य जीवन से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. साथ ही पति को मिली राहत को बरकरार रखा, जब तक कि हाईकोर्ट इस पर अपना अंतिम फैसला न सुना दे. दरअसल, हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत की याचिका इसलिए स्वीकार कर ली थी कि पुरुष ने कहा था कि वह अपनी पत्नी के साथ फिर से दाम्पत्य जीवन शुरू करेगा. पत्नी का सम्मान करेगा.

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें एक व्यक्ति को इस शर्त पर अग्रिम जमानत दे दी गयी थी कि वह अपनी पत्नी के साथ दाम्पत्य जीवन जारी रखेगा. उसका सम्मान करेगा और गरिमा के साथ उसका भरण-पोषण करेगा. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वह व्यक्ति तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दर्ज मामले में आरोपी है.

हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को गिरफ्तारी-पूर्व जमानत के अनुरोध पर पूरी तरह से उसके गुण-दोष के आधार पर विचार करना चाहिए था, न कि कोई शर्त लगानी चाहिए थी, जो पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438(2) से संबद्ध नहीं है.

हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत पर लगा दी थी शर्त

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश झारखंड हाईकोर्ट के फरवरी 2025 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया, जिसमें इस शर्त पर गिरफ्तारी पूर्व जमानत का अनुरोध स्वीकार किया गया था कि व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ दाम्पत्य जीवन फिर से शुरू करेगा और उसे अपनी पत्नी के रूप में सम्मान देगा.

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दाम्पत्य जीवन फिर से शुरू करने पर सहमत था आरोपी

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला की ओर से पेश वकील ने कहा कि पुरुष ने महिला के साथ मिलकर हाईकोर्ट में संयुक्त रूप से कहा था कि वह अपना दाम्पत्य जीवन फिर से शुरू करने को तैयार है. पीठ ने कहा कि वकील इस मायने में आंशिक रूप से सही थे कि व्यक्ति वास्तव में दाम्पत्य जीवन फिर से शुरू करने के लिए सहमत हो गया था.

…और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द दिया

कोर्ट ने कहा कि यदि इस आधार पर जमानत रद्द करने के लिए आवेदन किया जाता है कि ऐसी शर्त का पालन नहीं किया गया है, तो बाद में आवेदन करने पर व्यक्ति की ओर से विरोध किया जायेगा और इससे हाईकोर्ट को और अधिक कठिनाई हो सकती है. पीठ ने कहा, ‘इसलिए निर्णय और आदेश रद्द किया जाता है. अपील स्वीकार की जाती है.’

आरोपी को जारी रहेगा अंतरिम संरक्षण

इसने अग्रिम जमानत याचिका को हाईकोर्ट की फाइल पर बहाल कर दिया और उसे यथाशीघ्र, इसके गुण-दोष के आधार पर नये सिरे से निर्णय लेने को कहा. पीठ ने कहा कि जब तक हाईकोर्ट मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता, तब तक शीर्ष अदालत द्वारा व्यक्ति को दिया गया अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा. यानी उसे इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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