रांची. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन को लेकर मंगलवार को राज्य के कोने-कोने से कार्यकर्ताओं का हुजूम नेमरा पहुंचा था. बरलंगा से नेमरा की दूरी सात किलोमीटर है. सुरक्षा और भीड़ को देखते हुए बगलंगा मोड़ से एक किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग कर दी गयी थी. वीआइपी छोड़ कर किसी भी गाड़ी को नेमरा जाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी. ऐसे में राज्य के अलग-अलग जिलों से आये झामुमो के बुजुर्ग व महिला कार्यकर्ता को नेमरा पैदल ही जाना पड़ा. जुनून ऐसा था कि चिलचिलाती धूप में 10 किलोमीटर पैदल चल तक बुजुर्ग व महिलाएं चल रहे थे. कभी रास्ते में पेड़ की छांव में रुकते, पानी पीते और फिर आगे बढ़ जाते. यह स्थिति सिर्फ कार्यकर्ताओं की ही नहीं थी. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय भी पैदल ही जा रहे थे. वे भी लगभग एक किलोमीटर तक पैदल चले. इसके बाद एक गाड़ी सवार होकर नेमरा के लिये रवाना हुए. इधर, कार्यकर्ताओं को नेमरा पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लगा. इस दौरान बार-बार मौसम का मिजाज बदल रहा था. कभी धूप तो कभी छांव के बाद बारिश में भी भींगना पड़ा. सिमडेगा की जिप अध्यक्ष रोज प्रतिमा सोरेन ने बताया कि वे सुबह रांची में सीएम आवास पहुंची थीं. इसके बाद वे पांच गाड़ियों के काफिला के साथ बरलंगा पहुंची हैं. गाड़ी को पहले ही रोक दिये जाने के कारण पैदल जाने को मजबूर हैं. कहा कि चाहे एक घंटा लगे या दो घंटा, हमलोग गुरुजी के अंतिम संस्कार में शामिल होंगी. सिमडेगा की सुनीता यादव ने कहा कि प्रशासन की व्यवस्था के कारण थोड़ी परेशानी हो रही है, लेकिन पैदल चल कर नेमरा जायेंगी. जमशेदपुर से आये देवजीत मुखर्जी भी अपने साथियों के साथ गुरुजी की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिये जा रहे थे. उन्होंने कहा कि उनका गुरुजी से लगाव रहा है. वे झामुमो के कार्यकर्ता हैं. गुरुजी वर्मा माइंस में मजदूरों के आंदोलन में आये थे. उनके प्रयास से उस वक्त 3850 कर्मी स्थायी हुए. हजारीबाग से आये दिनेश प्रसाद मेहता ने कहा कि गुरुजी जब भी हजारीबाग आते थे, उनके साथ मुलाकात होती थी. उनकी आत्मीयता से प्रभावित होकर वे आज यहां पहुंचे हैं. आचार्य रमेंद्रानंद अवघुत भी शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा में पैदल ही गये. उनका कहना था कि हमलोगों का गुरुजी से लगाव रहा है. गुरुजी जब इमरजेंसी के दौरान जेल में थे, तो उन्होंने दीक्षा ली थी.
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