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केंद्रीय विद्यालय खोले जाने का मामला ठंडे बस्ते में

केंद्रीय विद्यालय खोलने को लेकर जो पहल हुई थी, वह फिर से थम गयी है.

डकरा. कोयलांचल वासियों की चिर-प्रतिक्षित मांग और लोगों की जनभावना देखते हुए स्थानीय सांसद सह केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद, सीसीएल सीएमडी नीलेंन्दु कुमार सिंह, सीआईएसएफ पदाधिकारियों के संयुक्त प्रयास से 20 साल बाद डकरा में पुनः केंद्रीय विद्यालय खोलने को लेकर जो पहल हुई थी, वह फिर से थम गयी है. इसको लेकर जिस गंभीरता व जवाबदेही की जरूरत है, उसका अभाव दिखाई दे रहा है, जिसके कारण चालू सत्र में विद्यालय खुलने का दावा अब असंभव हो गया है. विधानसभा चुनाव के समय केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री ने जब सत्र 2025-26 में विद्यालय खोलने की घोषणा की थी, तो क्षेत्र में उत्साह का संचार हुआ था. लोगों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने की उम्मीद जगी थी. अब लोगों को लग रहा कि उनके साथ धोखा हो गया है. इधर हालत यह है कि पुराने भवन की रंगाई-पुताई कर जो दिखावा हुआ, उसकी कलई खुलने लगी है और मात्र एक मॉनसून में ही भवन का रंग उड़ गया है. स्कूल परिसर में असामाजिक तत्वों की अड्डेबाजी पहले की तरह होने लगी है. पुराना भवन ढह जाने की स्थिति में है, केंद्रीय विद्यालय संगठन की आपत्ति अनुसार चहारदीवारी से सटा कर किया गया अतिक्रमण को लेकर नोटिस देने के अलावा कोई काम नहीं हुआ है. इस मामले को लेकर महाप्रबंधक कल्याण रेखा पांडेय नोडल ऑफिसर हैं और उनसे सीधा संवाद का कोई जरिया नहीं है. जानकार बताते हैं कि अब फिर से भवन की मरम्मत करानी होगी, नहीं तो वर्तमान हालात में यहां दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता.

भवन की गुणवत्ता पर मंत्री ने सवाल उठाये थे

13 जून को मंत्री संजय सेठ विद्यालय भवन देखने गये थे, उन्होंने भवन की गुणवत्ता पर सवाल उठाये थे और सीएमडी से बात भी की थी. उन्हें बताया गया था कि 16 जून को नोडल ऑफिसर रेखा पांडेय दिल्ली जाकर केंद्रीय विद्यालय संगठन के कमिश्नर से मिल कर सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करेंगी, लेकिन इसके बाद आज तक कोई जानकारी साझा नहीं की गयी है.

17 लाख पानी में गया और फिर 4.76 करोड़ का टेंडर जारी

पुरानी बिल्डिंग की 17 लाख लगा कर मरम्मत करायी गयी और अब फिर से 4.76 करोड़ का टेंडर जारी कर दिया गया है. इसमें उस बिल्डिंग को भी तोड़ना है, जिसमें 17 लाख रुपये लगाये गये हैं. विद्यालय खोलने को लेकर प्रबंधन की गंभीरता स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके आड़ में ठेकेदारी का जो खेल शुरू हुआ वह स्पष्ट दिखने लगा है.

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Prabhat Khabar News Desk
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