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Ranchi news : समाज सुधार के आंदोलन ने शिबू सोरेन को दिलायी दिशोम गुरु की उपाधि

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन अत्यंत दुखद है. उनका जाना झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है.

बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन अत्यंत दुखद है. उनका जाना झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के दूसरी पीढ़ी के नेता रहे. उन्होंने लंबे समय तक झारखंड आंदोलन की लड़ाई लड़ी. इसमें कोई दो राय नहीं है. वे अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ते रहे और उसे मुकाम तक पहुंचाया. अलग झारखंड राज्य के गठन में शिबू सोरेन का बड़ा योगदान है. इसके अलावा उन्होंने महाजनी प्रथा व शोषण के विरोध में आंदोलन किया. शराब के खिलाफ आवाज बुलंद की. समाज सुधार के इन आंदोलन से इन्हें दिशोम गुरु की उपाधि मिली. तीन चुनाव में हमलोग आमने-सामने रहे. दो चुनाव हम हारे और तीसरा जीता. हमारी लड़ाई शिबू सोरेन से नहीं थी, एक विचारधारा की लड़ाई थी. मुझे याद है जब अलग झारखंड राज्य बना. उस वक्त मैं झारखंड का सीएम था. शिबू सोरेन चुनाव हार गये थे. कांग्रेस उन्हें राज्यसभा नहीं भेज रही थी. दुखी: होकर उन्होंने हमसे बात की. तब मैंने कहा कि ठीक है बात करता हूं. मैंने अटल बिहारी वाजपेयी से बात की. पूरी घटना बतायी. तब अटल जी ने कहा कि उन्होंने झारखंड के लिए लड़ाई लड़ी है, हमें मदद करनी चाहिए . राज्यसभा भेजना चाहिए. इसके बाद मैंने इसकी जानकारी शिबू सोरेन को दी. कहा कि वे एक बार विधायक दल की बैठक में आकर अपील करें. तब शिबू सोरेन सीएम आवास आये. इसके बाद उन्हें राज्यसभा चुनाव में भेजने की घोषणा हुई. राजग के सहयोग से वे 10 अप्रैल 2002 को राज्यसभा सदस्य बने. लेकिन इसमें कोई शर्त नहीं थी. मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं थी, हम मुद्दों के आधार पर लड़ते थे.

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