संत अन्ना और संत जोवाकिम के पर्व पर समारोही मिस्सा
रांची. संत अन्ना धर्मसंघ ने शनिवार को संत अन्ना और संत जोवाकिम का पर्व मनाया. पुरुलिया रोड स्थित संत अन्ना धर्मसंघ के मूलमठ में समारोही मिस्सा हुई. मुख्य अनुष्ठक आर्चबिशप विसेंट आईंद थे. उन्हें सोसायटी ऑफ जीसस के प्रोविंशियल फादर अजीत खेस, फादर निकोलस टेटे ने मिस्सा में सहयोग किया. आर्चबिशप ने कहा कि आज संत अन्ना और संत जोवाकिम का पर्व मना रहे हैं. वे दोनों बुढ़ापे तक निसंतान थे और इस वजह से समाज में तिरस्कृत थे. वे संतान के लिए निरंतर प्रार्थना करते थे. उन्हें एक दिन स्वर्गदूत दर्शन देकर कहते हैं कि आपको संतान मिलेगी. ऐसा ही हुआ. संत अन्ना और संत जोवाकिम को संतान मिली जो संत मरियम (यीशु की माता) थी. दोनों ने संत मरियम को यीशु की माता बनने के लिए तैयार किया. इसलिए उनका ईश्वर भक्ति का जो गुण था, वह गुण संत मरियम में और यीशु पर भी आया. आर्चबिशप ने धर्मशास्त्र के पाठ के आधार पर कहा कि आज अपने पूर्वजों को याद करने और उनका गुणगाण करने का दिन है. हमारे पूर्वजों की धरोहर संपत्ति नहीं बल्कि विश्वास, धार्मिकता, समर्पण और मिशन है. कार्यक्रम में फादर असीम मिंज, मदर जेनरल की द्वितीय सलाहकारिणी सिस्टर सोसन बाड़ा, हाउस सुपीरियर सिसिलिया बाड़ा, काउंसलर सिस्टर सेलिन बाड़ा उपस्थित थी.धर्मसंघ की स्थापना के 128 वर्ष पूरे
आज संत अन्ना धर्मसंघ की स्थापना के 128 वर्ष पूरे भी हुए. संत अन्ना धर्मसंघ आठ राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों और देश के बाहर इटली व जर्मनी में फैला है. धर्मसंघ की बहनों की कुल संख्या 1134 है. धर्मसंघ की बहनें सुसमाचार प्रचार, शिक्षा, रोगियों की सेवा और समाज सेवा के कार्य में लगी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है