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Ranchi News आज हेपेटाइटिस डे : जिगर की फिकर

हेपेटाइटिस की थीम 'आइए इसे तोड़ें' यानी हेपेटाइटिस को लेकर चिंतन करें और हेपेटाइटिस उन्मूलन और लिवर कैंसर की रोकथाम में बाधा बन रही भ्रांतियों को खत्म करें.

हेपेटाइटिस की थीम ”आइए इसे तोड़ें” यानी हेपेटाइटिस को लेकर चिंतन करें और हेपेटाइटिस उन्मूलन और लिवर कैंसर की रोकथाम में बाधा बन रही भ्रांतियों को खत्म करें.

रांची.

हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लिवर को प्रभावित करती है. यह बीमारी लिवर में सूजन उत्पन्न करती है और यदि समय पर पहचान और इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे वायरल संक्रमण, शराब का अत्यधिक सेवन, कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव अथवा लिवर में अत्यधिक वसा का जमाव. हम बीमारी से होने वाली मौत और अन्य आंकड़ों को बताकर आपको डराना नहीं चाहते हैं. प्रयास लिवर को स्वस्थ रखने के उपाय, टीका से मिलने वाली सुरक्षा और बचाव से अवगत कराना है. इसके लिए हमारी जीवनशैली कैसी होनी चाहिए इस पर आधारित है यह रिपोर्ट…

पांच संक्रामक बीमारियों का समूह है हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस पांच संक्रामक बीमारी का समूह है. इसमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और इ शामिल है. हर संक्रमण का कारण अलग-अलग होता है. किसी में दूषित पानी और भोजन, तो किसी में संक्रमित व्यक्ति के रक्त से संक्रमण हो सकता है.

जानिए हेपेटाइटिस और उसके संक्रमण के प्रकार

हेपेटाइटिस ए : यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है.

हेपेटाइटिस बी : यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त (असुरक्षित यौन संबंध या सुई साझा करने) से फैलता है.

हेपेटाइटिस सी : यह संक्रमित रक्त के माध्यम से फैलता है और यह क्रोनिक संक्रमण का कारण बन सकता है.

हेपेटाइटिस डी : यह केवल उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस बी है.

हेपेटाइटिस इ : यह दूषित पानी के सेवन से फैलता है और हेपेटाइटिस ए की तरह ही फैलता है.

किस संक्रमण से बचाव का टीका उपलब्ध

हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीके उपलब्ध हैं. हेपेटाइटिस सी का टीका फिलहाल उपलब्ध नहीं है. टीका का पहला डोज शून्य, दूसरा डोज एक महीने में और तीसरा डोज छठवें महीने में लेना है.

भ्रांतियां जिसे तोड़ना है जरूरी

घर में किसी को हेपेटाइटिस है तो अन्य सदस्यों पर कितना खतरा?

खतरा तो है, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के दैनिक उपयोग वाले सामान (रेजर और ब्लेड) से दूरी बनाये. डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति और घर के अन्य सदस्यों की जांच में सावधानी बरतें.

गर्भवती मां को हेपेटाइटिस है तो बच्चे को होने का कितना खतरा?

गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है, इसलिए टीका लेना जरूरी है.

किसी दंपती को पता चले कि किसी एक को हेपेटाइटिस बी संक्रमण है तो क्या करें?

दंपती में जिसको हेपेटाइटिस का संक्रमण है उसे तत्काल टीका लेना चाहिए. वहीं, अन्य जीवन साथी को भी जांच के बाद टीका अवश्य लेना चाहिए. शारीरिक संबंध बनाने में सावधानी बरतें, जब तक टीका नहीं लें.

गर्भवती मां को हेपेटाइटिस बी का संक्रमण है तो प्रसव सामान्य या सिजेरियन क्या कराना चाहिए?

सामान्य प्रसव और सेजेरियन दोनों तरीके से प्रसव हो सकता है. इसमें हेपेटाइटिस बी की जांच जरूरी है.

हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मां क्या अपने बच्चे को दूध पिला सकती है?

हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मां बच्चे को दूध पिला सकती है.

डॉक्टर जिसको हेपेटाइटिस बी है क्या वह मरीज की सर्जरी कर सकता है?

डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं, लेकिन प्रोसिज्योर में सावधानी जरूरी है.

वर्ष 2000 के बाद जन्मे लोगों को लगा है टीकाहेपेटाइटिस बी के संक्रमण से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण अभियान में इसे वर्ष 2000 से शामिल किया गया. यानी वर्ष 2000 के बाद जन्मे बच्चों को टीका लग चुका है. वैसे लोग जो इससे पहले जन्म लिये हैं उनको टीका नहीं लगा है. ऐसे में उनको टीका लगाना चाहिए.

हर साल 28 जुलाई को मनता है विश्व हेपेटाइटिस दिवस

हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने के पीछे लिवर की गंभीर बीमारी और यकृत कैंसर के प्रति लोगों को आगाह करना है. दरअसल, इस दिन डॉ बरूच सैमुअल ब्लमबर्ग का जन्मदिन है, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी. इस बीमारी का वैक्सीन और दवा भी उन्होंने ही बनायी थी.

डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े जिसे जानना चाहिए

::: प्रतिवर्ष एक लाख लोगों की मौत हेपेटाइटिस से हो जाती है.

::: देश में चार करोड़ लोग हर साल हेपेटाइटिस बी, 1.20 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित होते हैं.

::: पिछले 20 सालों में 25 फीसदी हेपेटाइटिस बी से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़ा है.

टैटू के साथ ले आते हैं हेपेटाइटिस वायरस

टैटू बनवाते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से न सिर्फ हेपेटाइटिस से बचाव हो जाता है बल्कि एचआइवी के संक्रमण से भी बच सकते हैं. दरअसल, टैटू बनाने के दौरान सुई से इंक स्किन के अंदर डाली जाती है. वह खून के संपर्क में आती है. यदि वह सुई पहले से ही किसी हेपेटाइटिस संक्रमित शख्स के त्वचा के अंदर पहुंचकर उसके खून के संपर्क में आ चुकी है तो उसके आगे जो लोग टैटू गुदवायेंगे, उन्हें हेपेटाइटिस बी या सी के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहेगा. इससे एचआइवी होने का खतरा भी रहता है.

ऐसे बचें टैटू वाले संक्रमण से

ऐसे किसी भी पार्लर से टैटू नहीं गुदवायें, जिसे लाइसेंस न मिला हो. सड़क किनारे टैटू बनवाने में यह खतरा बढ़ जाता है.

ज्यादातर आर्टिस्ट्स ग्लव्स पहनते हैं. सिर्फ ग्लव्स पहनना काफी नहीं है. ग्लव्स को बार-बार सेनेटाइज करना जरूरी है.

सिर्फ टैटू मशीन को साफ करने से काम नहीं चलेगा. मशीन को हर बार स्टरलाइज करना भी जरूरी है. कई बार किसी टॉवेल से पोछकर मशीन को साफ कर दिया जाता है. यह हेपेटाइटिस से बचने के लिए पर्याप्त सफाई नहीं है.

स्टरलाइजेशन प्रक्रिया में केमिकल के इस्तेमाल से या गर्मी से वाइरस को मारा जाता है.

जहां पर टैटू गुदवाना हो, शरीर के उस हिस्से की सफाई भी जरूरी है. उसे भी केमिकल से स्टरलाइज करें.

हेपेटाइटिस से मुक्त भारत कैसे मुमकिन?

नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम को भारत सरकार ने वर्ष 2018 में लांच किया था. इसका मकसद सभी वायरल हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और इ से होने वाली मौत में कमी और वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस ए और सी को पूरी तरह खत्म करना है. यह प्रोग्राम अब भी जारी है.

1. हेपेटाइटिस ए और बी का वैक्सीनेशन सभी के लिए हो.

2. नये जन्मे बच्चों को सौ फीसदी हेपेटाइटिस बी का वैक्सीनेशन हो.

3. जब खून जांच हो तो साथ में हेपेटाइटिस की भी स्क्रीनिंग हो, जिसमें हेपेटाइटिस बी और सी जो क्रॉनिक बीमारियां पैदा करते हैं और इनके लक्षण जल्दी नहीं उभरते, ऐसे संक्रमण के बारे में भी जानकारी मिल सके ताकि इनका इलाज भी सही समय पर शुरू हो सके.

4. जब तक संक्रमित लोग मौजूद रहेंगे, तब तक यह इन्फेक्शन फैलता रहेगा. इसलिए ऐसे लोगों का सही इलाज बेहद जरूरी है. साथ ही नये संक्रमण न हो इसके लिए वैक्सिनेशन सौ फीसदी होना चाहिए.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

हेपेटाइटिस में बी और सी का संक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है. इसमें हेपेटाइटिस बी सबसे ज्यादा होता है. इसमें लिवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. यह संक्रमित व्यक्ति के खून और लार के संपर्क में आने पर होता है. हेपेटाइसिस बी को लेकर काफी भ्रांतियां हैं, जिसको दूर करना जरूरी है. वर्ष 2000 के बाद जन्मे बच्चे टीका लिये हैं. लेकिन, इससे पहले जन्मे लोगों को टीका लेना है. शराब और दूषित पानी के उपयोग से बचें. संयमित जीवनशैली को अपनायें.

डॉ जयंत घोष, पेट रोग विशेषज्ञB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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