रांची. झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड (जेएसएफसी) के प्रबंध निदेशक की ओर से एक ही दिन में जारी दो परस्पर विरोधाभासी आदेश विभागीय अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. एक ओर जहां आरडीएस एंड संस प्राइवेट लिमिटेड को कम चावल सुपुर्दगी के कारण काली सूची में डालने की चेतावनी दी गयी, वहीं उसी दिन मिलर इंसेंटिव के तौर पर 15.64 लाख रुपये भुगतान का आदेश भी जारी किया गया. दोनों आदेश 22 जनवरी 2025 को जारी हुए. पहला आदेश खरीफ विपणन मौसम 2024-25 के तहत पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों में सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) सुपुर्दगी की धीमी गति को लेकर जारी किया गया. इसमें कहा गया कि 21 जनवरी के प्रतिवेदन के अनुसार इन जिलों में आरडीएस संस प्राइवेट लिमिटेड के स्तर से कुल 287 लॉट सीएमआर की सुपुर्दगी लंबित है. सुपुर्दगी में विलंब के कारण संबंधित जिलों के लैम्पस/पैक्स गोदाम भर चुके हैं, जिससे किसानों से धान की खरीद बाधित हो रही है. निगम ने चेतावनी दी कि यदि सुपुर्दगी में तेजी नहीं लायी गयी, तो मिल को काली सूची में डालने की कार्रवाई की जायेगी. इसी दिन दूसरा आदेश जिला प्रबंधक, झारखंड खाद्य निगम, गढ़वा को भेजा गया, जिसमें आरडीएस एंड संस प्राइवेट लिमिटेड को मिलर इंसेंटिव के रूप में 15.64 लाख रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया गया. एक ही दिन में जारी इन दो आदेशों को लेकर विभागीय हलकों में असमंजस की स्थिति है. अधिकारी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक ओर चेतावनी और दूसरी ओर प्रोत्साहन का आदेश किस प्रशासनिक तर्क पर आधारित है.
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