प्रतिनिधि, लापुंग
प्रखंड के महगांव के पतराटोली के लोग अपने गांव आने-जाने के लिए बांस के पुल का उपयोग करते हैं. प्रखंड मुख्यालय से पतराटोली गांव की दूरी मात्र पांच किलोमीटर है. ग्रामीणों को किसी काम से आवागमन के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यह गांव किसी टापू से कम नहीं है. बारिश के दिनों में ग्रामीणों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है. गांव में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं के बराबर है. जानकारी के अनुसार तपकारा के महेश्वर सिंह ने झारखंड के पूर्व मंत्री देवकुमार धान की पहल पर पुलिया बनवायी गयी थी. लेकिन पुलिया पहली बारिश में ही बह गयी. इसके बाद दोबारा सरकारी स्तर पर कोई निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका. जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति उदासीन हैं. बताया जाता है कि पुलिया का निर्माण 20 वर्षों पूर्व कराया गया था. ग्रामीण थॉमस बरला ने बताया कि बारिश के मौसम में पतराटोली नाले में पानी का बहाव तेज हो जाता है. जिससे गांव टापू में तब्दील हो जाता है. ग्रामीण मोनिका तिर्की ने बताया कि पतराटोली सहित बूढ़नी, बरटोली, टांगरकेला के स्कूली बच्चे इसी रास्ते से महुगांव पंचायत के स्कूलों में पढ़ने आते हैं. बारिश तेज होने पर बांस की पुलिया आवागमन के लिए सुरक्षित नहीं रहती है. ग्रामीण बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष बारिश में पुलिया बह जाती है, लेकिन ग्रामीण फिर से बांस का पुलिया बनाते हैं. गांव जाने के लिए पुल और सड़क नहीं होने से ग्रामीण विकास की मुख्यधारा से कट गये हैं. सरकारी योजनाओं से भी ग्रामीण वंचित हैं. ग्रामीणों ने सरकारी पदाधिकारियों, सांसद, विधायक व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से पुल व सड़क बनवाने की मांग किये हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है