रांची. देश भर में गांवों, बस्तियों और मोहल्लों के जातिसूचक और अपमानजनक नामों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सख्त रुख अपनाया है. आयोग ने झारखंड समेत सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे गांवों, बस्तियों और मोहल्लों की पहचान कर नामों की समीक्षा कर आवश्यक संशोधन करें. आयोग ने नगर विकास और पंचायती राज विभाग को नोटिस जारी कर कार्रवाई की रिपोर्ट (एटीआर) भी मांगी है.
गरिमा को पहुंच रहा ठेस
आयोग को मिली एक शिकायत में कहा गया था कि आज भी देश के कई हिस्सों में ऐसे नाम प्रचलन में हैं, जो अनुसूचित जातियों के लोगों की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं. इनमें से कई नाम औपचारिक रूप से भले ही बदल दिये गये हों, लेकिन व्यवहार में अब भी इस्तेमाल हो रहे हैं. शिकायत में कहा गया है कि आजादी के 75 साल बाद भी समाज के कमजोर वर्गों को ऐसे नामों की वजह से सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ रहा है. यह न केवल मानसिक आघात पहुंचाता है, बल्कि सामाजिक भेदभाव को भी बढ़ावा देता है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर नामों की समीक्षा जरूरी है. आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसे नाम संविधान में वर्णित समानता और सम्मान के अधिकार के खिलाफ हैं. इस पर मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 के तहत कार्रवाई शुरू की गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है