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Ranchi news : किसी भी थाना में दर्ज करा सकते हैं जीरो एफआइआर : अभय प्रकाश

प्रभात खबर की लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अभय प्रकाश ने दी कानूनी सलाह.

रांची.

भारत में कहीं भी कोई अपराध हुआ हो, तो उसकी शिकायत (जीरो एफआइआर) किसी भी थाना में दर्ज करायी जा सकती है. थाना जीरो एफआइआर दर्ज कर उसे घटनावाले क्षेत्र के संबंधित थाना में स्थानांतरित करेगा. नये कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 173 (एक) के तहत ई-एफआइआर व जीरो एफआइआर की व्यवस्था है. इसके तहत पीड़ित व्यक्ति संज्ञेय अपराध की सूचना इलेक्ट्रॉनिक माध्यम ई-मेल अथवा वाट्सऐप पर एफआइआर के लिए दे सकता है. इसके बाद थाना तीन दिन के अंदर उस व्यक्ति को आवेदन पर प्रतिहस्ताक्षरित करने के लिए बुलायेगा. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. पुलिस इससे इनकार नहीं कर सकती है. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अभय प्रकाश ने कही. वह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे.

पलामू के श्रीराम कुमार का सवाल :

मैं एक बैंक में अधिकारी था. कुछ आरोप लगा था. इसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. उसके खिलाफ अपील भी की थी, जो रिजेक्ट हो गया. क्या हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे सकते हैं?

अधिवक्ता की सलाह :

बैंक ने आपको दंड दिया है. बैंक की अपीलीय फोरम में भी आपकी बर्खास्तगी आदेश बरकरार रहा, तो उसे आप हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दे सकते हैं. यह आपका अधिकार है.

चतरा के मुसाफिर सिंह का सवाल :

मैंने टाइटिल सूट दायर किया है. अब उसे वापस लेना चाहते हैं. क्या वापस ले सकते हैं?

अधिवक्ता की सलाह :

अपने अधिवक्ता के माध्यम से वापस लेने के लिए आप अदालत में आवेदन दे सकते हैं. उसमें वापस लेने का कारण बताते हुए यह जरूर लिखें कि भविष्य में आवश्यकता होने पर वह आ सकते हैं.

बसिया, गुमला के अरविंद लाल का सवाल :

पुलिस हमारी शिकायत दर्ज नहीं कर रही है. वैसी स्थिति में वह क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

आपकी शिकायत ऑफलाइन या ऑनलाइन लेने से पुलिस इनकार नहीं कर सकती है. अब तो नये कानून बीएनएस में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लिखित शिकायत भेज सकते हैं. इस पर पुलिस तीन दिन में बुला कर आवेदन पर हस्ताक्षर लेकर आगे की कार्रवाई करेगी.

रामगढ़ के रंजीत सिंह का सवाल :

लोन पर गाड़ी खरीदी थी. बीच में किस्त नहीं भरने का कारण बताते हुए फाइनांस कंपनी ने गाड़ी जब्त कर बेच दी है. अब नोटिस भेज कर पैसा मांगा जा रहा है, क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

आप नोटिस का जवाब दें. जरूरत पड़े, तो उपभोक्ता फोरम में भी जा सकते हैं. जिस दिन आपकी गाड़ी जब्त कर ली गयी थी, उसके बाद से कंपनी आप पर चार्ज नहीं कर सकती है.

बुंडू के नील मोहन मुंडा का सवाल :

हमारे इलाके में सड़क चाैड़ीकरण का कार्य हो रहा है. बिना ग्रामसभा की अनुमति के उनके गांव में किसानों की लगभग 18 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा रही है. इसकी लिखित शिकायत प्रशासन के अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री को भी दी गयी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

देखिए, किसी भी विकास योजना के तहत जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया निर्धारित है. इसके लिए ग्रामसभा की अनुमति लेना अनिवार्य है. यदि आपके आवेदन पर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है, तो आपलोग झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकते हैं.

इन्होंने भी पूछे सवाल :

खूंटी से अमृता, बुंडू से दिनेश कुमार कोइरी, हजारीबाग से रमेश कुमार, गढ़वा से मनोज ठाकुर, बुंडू से किशोर कुमार महतो, बसिया से भाैआ साव, कोडरमा से रमेश कुमार गुप्ता, गढ़वा से हरेंद्र कुमार आदि ने भी सवाल पूछे. लीगल काउंसेलिंग में सर्विस, क्रिमिनल व सिविल से जुड़े सवाल पूछे गये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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