हाता/राजनगर.
राजनगर प्रखंड के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध मुंडाकाठी गांव स्थित बोंगबोंगा नदी के किनारे भीमखांदा शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए सावन में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. सावन में राजनगर व आसपास क्षेत्र के अलावे पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी भक्त कांवर लेकर यहां पहुंचते हैं और महादेव पर जल अर्पित करते हैं. भीमखंदा महादेव को द्वापर युग से ही स्थापित माना जाता है. यहां पर महाभारत के सबसे महान धनुर्धर अर्जुन ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी. मान्यता है कि द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास में थे तब खंड प्रदेश के बोंगबोंगा नदी तट पर पहुंच कर उन्होंने विश्राम किया था. इस दौरान गदाधारी भीम ने चूल्हे का निर्माण कर भोजन बनाया था. तभी से यह स्थल भीमखंदा के नाम से जाना जाता है. खंदा मतलब चूल्हा होता है. यहां विराजमान भगवान महादेव भीमखंदा महादेव के नाम से जाने जाते हैं.भीमखंदा ट्रस्ट द्वारा की गयी है विशेष व्यवस्था
: सावन में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. भीड को देखते हुए भीमखंदा सेवा ट्रस्ट ने बांस से घेराबंदी की है. साथ ही महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग आने-जाने की व्यवस्था है. यह शिवलिंग द्वापर युग का है. मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने यहां तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था. उनके आशीर्वाद से दिव्य अस्त्र प्राप्त किया. आज भी सावन के महीने में यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं. –विजय कुमार पति
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