सरायकेला.सरायकेला में चैत्र पर्व सह चड़क पूजा छह अप्रैल को भैरव पूजा के साथ शुरू होगी. इसी के साथ चारों युग के प्रतीक अलग-अलग घट लाये जायेंगे. जानकारी के अनुसार, छह अप्रैल को भैरव पूजा भैरव स्थान पर की जायेगी. इसके बाद घट पाट पूजा शुरू होगी. घट में प्रत्येक दिन अलग-अलग घट लाये जायेंगे, जो पाट संक्रांति तक जारी रहेगा. आर्टिस्ट एसोसिएशन के भोला महांती ने बताया कि भोक्ता उपवास में रह कर स्थानीय खरकई नदी के तट से घट लाते हैं और बाजार स्थित शिव मंदिर में स्थापित करते हैं.
सतयुग का प्रतीक है यात्रा घट
चैत्र पर्व के दौरान उठाये जाने वाले यात्रा घट को सतयुग का प्रतीक माना जाता है. यह घट रात के 11 से 12 बजे के बीच सरायकेला के खरकई नदी के माजना घाट से उठाया जाता है. इस दौरान माजना घाट में घट उठाने से पूर्व भगवान शिव व शक्ति की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद भोक्ताओं द्वारा घट उठाया जाता है. माजना घाट से घट को लेकर भोक्ता गोपाबंधु चौक होते हुए राजमहल जाते हैं, इसके बाद घट को बाजार अंदर स्थित शिव मंदिर में लाया जाता है. यात्रा घट वाले दिन लोग उपवास रखते हैं और घर के सामने घट पहुंचने पर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. शिव मंदिर पहुंचने पर घट को गड्ढा खोदकर उसमें दबा दिया जाता है और अगले वर्ष उस घट को निकाला जाता है. मान्यता है कि घट के अंदर रखे जल से लोग पूरे वर्ष बारिश होने का अनुमान लगाते हैं.
त्रेता युग का प्रतीक माना जा रहा है वृंदावनी घट
चैत्र पर्व के दौरान उठाये जाने वाले वृंदावनी घट को त्रेता युग का प्रतीक माना जाता है. यह घट रात के करीब 8 बजे खरकई नदी के सदाशिव घाट (माजना घाट) से उठाया जाता है. इस दौरान बंदर नाच (माकड़ नाच) की परंपरा है. वृंदावनी घट उठाने के दौरान इसमें सभी जाति के लोग शामिल होते हैं और बंदर नाच करते हुए घट को पहले राजमहल उसके बाद शिव मंदिर में लाया जाता है.गोरेयाभार घट द्वापर युग का प्रतीक
चैत्र पर्व के दौरान उठाये जाने वाले छह घट में से एक गोरेयाभार घट है, जिसे द्वापर युग का प्रतीक माना जाता है. यह घट रात के करीब 8 बजे खरकई नदी से लाया जाता है. घट यात्रा के दौरान राधा-कृष्ण का वेश धारण किये भोक्ता नचाते झूमते हुए घट को लेकर पहले राजमहल और फिर शिव मंदिर पहुंचते हैं.कलियुग का प्रतीक है कालिका घट
चैत्र पर्व के दौरान उठाया जाने वाला अंतिम घट कालिका घट है. यह घट कलियुग का प्रतिक माना जाता है. यह घट रात्रि के 2 से 3 बजे के बीच रात के अंधेरे में उठाया जाता है. घट यात्रा के दौरान कलियुग के रूप में काले वस्त्र पहने भोक्ता घट यात्रा के साथ आते हैं. मान्यता है कि कालिका घट के दौरान कलियुग की वेशभूषा धारण किये भोक्ता को नहीं देखना चाहिए. इसलिए कालिका घट को रात के अंधेरे में इस वक्त उठाया जाता है. जब लोग गहरी निद्रा में होते हैं. कालिका घट के साथ चैत्र पर्व का समापन किया जाता है.कब कौन सा घट लाया जायेगा
छह अप्रैल :अप्रैल को भैरव पूजासात अप्रैल : शुभ घट
आठ अप्रैल : मंगला घटनौ अप्रैल : झुमकेश्वरी पूजा
10 अप्रैल : यात्रा घट11 अप्रैल : वृंदावनी घट
12 अप्रैल : गोरयाभार घर13 अप्रैल : कालिका घट
14 अप्रैल : पाट संक्रांती (समापन घट)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है