खरसावां/चांडिल.सरायकेला-खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड के लोक सेवायतन गांधी आश्रम में एक मंच पर सरायकेला-खरसावां जिला में प्रचलित छऊ नृत्य की तीनों शैलियों को प्रदर्शित किया गया. बांग्ला नाटक डॉट कॉम व एक्सिस बैंक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय छऊ फेस्टिवल में सरायकेला, खरसावां व मानभूम (पुरुलिया) शैली की छऊ नृत्य प्रदर्शित हुई. छऊ नृत्य को देखने के लिये बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. खरसावां के कलाकारों ने जहां राधा-कृष्ण के शाश्वत प्रेम पर आधारित नृत्य पेश कर समां बांधा, वहीं नीमडीह के कलाकारों ने अधर्म पर धर्म के विजय स्वरूप महिषासुरमर्दिनी नृत्य पेश किया. सरायकेला के कलाकारों ने भी कई आकर्षक नृत्य पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. छऊ कलाकारों ने ढोल, नगाड़ा व शहनाई (पेंकाली) की धुन पर छऊ नृत्य पेश कर समां बांधा.
छऊ के विकास पर सेमिनार का हुआ आयोजन
फेस्टिवल के दौरान छऊ नृत्य प्रदर्शनी के साथ-साथ वर्कशॉप व सेमिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान छऊ की तीनो शैलियों ( मानभूम, सरायकेला एवं खरसावां) के विकास पर छऊ गुरुओं के साथ-साथ वक्ताओं ने प्रकाश डाला. कार्यक्रम में पहुंचे स्कूली बच्चों और कला प्रेमियों ने मानभूम शैली और सरायकेला शैली की छऊ नृत्य में प्रयुक्त होने वाले मुखौटा के बारे में जानकारी ली.कार्यक्रम में ये थे मौजूद
अमिताभ भट्टाचार्य, छऊ के जानकार परेश कुमार, परमानंद नंदा, गणेश महतो, मलय साहु, विजय कुमार साहू, सुशांत महापात्र, खिरोद सिंह, वंशीधर महतो, नंदलाल कुम्हार, विसकिसन कुम्हार, गोकुल सिंह, गंभीर महतो, ठुंगरु मुखी, कमलेश मुडारी, विजय साहू, लखिंदर कुम्हार, अर्जुन गोप, सृष्टिधर महतो आदि.
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