सरायकेला.
सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला में रविवार को संकुल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सरायकेला संकुल के अंतर्गत पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर सिनी, बुरुडीह, महालीमुरूप और बड़ाबांबो के आचार्य एवं दीदियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सामूहिक वंदना से हुई.प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रामनाथ आचार्य ने कहा कि स्वाधीनता के बाद भी हम अंग्रेजों की थोपित शैक्षिक पद्धति को ढोते आ रहे हैं, जबकि वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व सिर्फ परीक्षा पास कराना नहीं, बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है. हिंदी को उन्होंने देश को जोड़ने वाली भाषा बताया.कार्यशाला के पहले सत्र में गुरुचरण महतो ने बाल केंद्रित शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया. दूसरे सत्र में प्रधानाचार्य पार्थ सारथी आचार्य ने अंग्रेजी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए ‘स्पोकन इंग्लिश डे’ लागू करने की बात कही. तीसरे सत्र में शालिनी दीदी ने व्याकरण की अनिवार्यता पर चर्चा की. चौथे सत्र में रंजन आचार्य ने संस्कृत भाषा की बुनियादी शिक्षा और उसके महत्व पर प्रकाश डाला.कार्यशाला में सभी वक्ताओं ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को व्यवहारिक, समावेशी और संस्कृति-सम्मत बनाने पर बल दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है