खरसावां. कोल्हान में अर्जुन व आसन के पेड़ों में तसर कीट का पालन शुरू हो गया है. राज्य व केंद्र सरकार भी यहां तसर कोसा की उपज को बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. तसर रेशम के उत्पादन के मामले में झारखंड देशभर में अव्वल है. पूरे देश का 70 फीसदी तसर उपज झारखंड में होता है. झारखंड का 40 फीसदी उपज कोल्हान में होता है. वर्ष 2025-26 में झारखंड में 1800 मीट्रिक टन तथा कोल्हान में 750 मीट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोल्हान समेत पूरे राज्य में तसर कीट पालन शुरू कर दिया गया है. स्थानीय अग्र परियोजना केंद्रों में उत्पादित डीएफएल (तसर के अंडे) के साथ पड़ोसी राज्यों में उत्पादित डीएफएल किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
कोल्हान में पिछले दो साल से बढ़ा है तसर कोसा का उत्पादन
कोल्हान में पिछले दो साल से तसर कोसा का उत्पादन बढ़ा है. वर्ष 2023-24 में यहां 395 मीट्रिक टन तसर रेशम का उत्पादन हुआ था. वहीं वर्ष 2024-25 में 520 मीट्रिक टन तसर रेशम का उत्पादन हुआ. इस वर्ष 750 मीट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य है. इसी तरह झारखंड में वित्त वर्ष 2023-24 में 1121.77 मीट्रिक टन व वित्त वर्ष 2024-25 में 1500 मीट्रिक टन तसर का उत्पादन हुआ था. वित्त वर्ष 2025-26 में रेशम प्रक्षेत्र में 1800 मीट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि वर्ष 2023-24 से पूर्व के पांच वर्षों में कोल्हान समेत पूरे झारखंड में तसर कोसा का उत्पादन काफी कम था.कोल्हान में तसर की खेती से करीब 25 हजार किसान जुड़े हैं
कोल्हान में तसर की खेती से करीब 25 हजार किसान जुड़े हुये हैं. इसमें से खरसावा-कुचाई क्षेत्र में ही करीब छह हजार तसर किसान हैं. इस वर्ष चांडिल क्षेत्र में भी तसर की खेती की जा रही है. पिछले वर्ष चांडिल क्षेत्र में पांच किसान तसर की खेती से जुड़े थे. प्रयोग सफल रहने के बाद इस बार 10 किसान तसर कीट पालन कर रहे हैं. इसके अलावे कई संस्थानों की ओर से भी तसर की खेती करायी जा रही है.तसर की खेती के लिये अनुकूल है मौसम
इस वर्ष तसर की खेती के लिये मौसम अनुकूल है. राज्य के सिल्क जोन के रूप में विख्यात खरसावां-कुचाई क्षेत्र में इस वर्ष मॉनसून सही समय पर आने से तसर के अंडों (डीएफएल) का उत्पादन भी सही समय पर हुआ है. अर्जुन आसन के पेड़ों पर तसर कीट की रक्षा के लिए पेड़ों को नेट से ढंक कर रखा गया है. रेशम दूत स्वयं खेतों में जाकर रेशम कीटों की रखवाली कर रहे हैं.
साल में दो बार होती है तसर की खेती
साल में दो बार तसर कोसा की खेती होती है. जुलाई के पहले सप्ताह में ही पहली फसल के लिए कीटपालन शुरू हो जाता है. कीट से तसर कोसा बनाने की प्रक्रिया में 30 से 35 दिनों का समय लगता है. अगस्त माह से ही तसर कोसा बन जाता है. फिर इसी कोसा से ही ग्रेनेज कर अक्तूबर माह में दूसरी फसल के लिए कीटपालन किया जाता है. इसमें 55 से 60 दिनों में तसर कोसा बनकर तैयार हो जाता है.
तसर कोसा का जीवन चक्र
तसर के अंडा (डीएफएल) से कीट तैयार होते हैं. पेड़ों में कीटपालन के दौरान यह कीट तसर कोसा (प्यूपा) तैयार करते हैं. फिर इन्हें तसर कोसा को बीजागार ग्रेनेज के लिये रखा जाता है. ग्रेनेज के दौरान इन्हीं तसर कोसा के अंदर से तितली निकल कर अंडा तैयार करती है. इसी अंडे से अगली फसल तैयार होता है.खरसावां-कुचाई में तैयार होता है ऑर्गेनिक रेशम
खरसावां-कुचाई ऑर्गेनिक रेशम उत्पादन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां रेशम कीट पालन से लेकर कोसा उत्पादन तक में किसी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है. यहां के ऑर्गेनिक तसर की काफी मांग है.कोल्हान के इन क्षेत्रों में होती है तसर की खेती:
खरसावां, कुचाई, बंदगांव, चक्रधरपुर, हाटगम्हरिया, डेबरासाई, भरभरिया, मनोहरपुर व गोइलकेरा अग्र परियोजना क्षेत्र के अधीन आने वाले गांव.झारखंड में कच्चे रेशम उत्पादन का वर्षवार डाटा : –
वित्तीय वर्ष
:कच्चे रेशम का
उत्पादन
(मीट्रिक टन)2013-14 : 20002014-15 : 19432015-16 : 22812016-17 : 26302017-18 : 22172018-19 : 23722019-20 : 23992020-21 : 21842021-22 : 10512022-23 : 8742023-24 : 11222024-25 : 1500तसर किसानों के बोलतसर की खेती ही हमारा मुख्य पेशा है. पहले चरण के तसर की खेती शुरू कर दी गयी है. तसर की खेती से ही परिवार का जीवनयापन होता है. इस बार अच्छा फसल तैयार होने की उम्मीद है. -जोगेन मुंडा, रेशम दूत, मरांगहातु, कुचाई (13 केएसएन 15 )–तसर की खेती के लिए मौसम अनुकूल दिख रहा है. खेती को लेकर किसान उत्साहित व काफी आशन्वित हैं. अच्छा फसल होने का अनुमान है. सरकार को चाहिए कि तसर की खेती को मनरेगा से जोड़ें. – महेश्वर उरांव, रेशम दूत, जिलींगदा, कुचाई (13 केएसएन 16 )–इस वर्ष मॉनसून सही समय पर आने के कारण समय पर डीएफएल भी मिला है. इससे समय पर तसर की खेती शुरू हो गयी है. पूरे परिवार के साथ मिलकर तसर की खेती कर रहे हैं. इस वर्ष अच्छी खेती होने की संभावना है. -तुराम हाईबुरु, रेशम दूत, कुचाई (13 केएसएन 17)विशेषज्ञ के बोल– तसर की खेती के लिए मौसम अनुकूल है. क्षेत्र के रेशम दूतों को आवश्यकता अनुसार डीएफएल उपलब्ध कराया जा रहा है. कीटपालन का कार्य शुरू हो गया है. इस वर्ष कोल्हान में 750 मीट्रिक टन तसर कोसा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. -रविशंकर प्रसाद, सहायक उद्योग निदेशक (रेशम), कोल्हान– रेशम दूत तसर की खेती के कार्य में जुट गये हैं. उम्मीद है कि इस वर्ष तसर की अच्छी खेती होगी. इस वर्ष तसर के खेती के लिए मौसम अनुकूल है. अच्छी क्वालिटी के तसर कोसा की उपज हो, इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. समय-समय पर किसानों को तकनीकी सलाह भी दी जा रही है. -नितिश कुमार, पीपीओ, खरसावां-कुचाई– तसर की खेती के लिए पूरे कोल्हान में कीटपालन शुरू कर दिया गया है. पहला फसल अगले माह के अंत तक तैयार हो जायेगा. इसके बाद अक्तूबर माह से दूसरे फसल की खेती होगी. इस वर्ष पिछले वर्ष से अधिक उपज होगी. तसर किसानों को विभाग से हर तरह का सहयोग दिया जा रहा है. -प्रदीप महतो, पीपीओ, मनोहरपुर-गोइलकेराडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है